“यूँ न रह-रह के हमें तरसायिये, आईये, आ जाईये , आजायिये ,फ़िर वही दानिश्ता ठोकर खाईये, फ़िर मेरे आगोश में गिर जाईये,मेरी दुनिया मुन्तजिर है आपकी , अपनी दुनिया छोड़ कर आजायिये…।!”

यही वह ग़ज़ल है , जिसे हम गुनगुनाते हुए आज की चर्चा की शुरूआत करने जा रहे हैं, जीवन के कोलाहल से दूर यदि ग़ज़लों की दुनिया में समा जाने को आप आतुर हैं तो चलिए चलते हैं सुखनसाज़ के पास । सुखनसाज़ का पन्ना खुलेगा और खिलेगी मेहदी हसन की जादूई आवाज़ । वह आवाज़ जिसे सुनने के लिए बेचैन रहते हैं मेरे कान। इस ब्लॉग पर आने के बाद होठों से अपने-आप फूट पड़ते हैं ये शब्द- माशाल्लाह !……क्या ब्लॉग है …।

इस ब्लॉग पर अहमद फ़राज़ से लेकर बेगम अख्तर तक की दुनिया आबाद है । मैं तो यही कहूंगा कि यदि आप अभी तक न आए हों तो इस ब्लॉग पर एक बार आईये, आ जाईये, आजायिये…।वैसे तो बहुत सारे ब्लॉग हैं जहाँ पहुँच कर आप ग़ज़ल गुनगुनाने को बेताब हो जायेंगे, हिन्दी चिट्ठा हलचल की अपनी एक सीमा है और उसी सीमा में आबद्ध होकर अपनी बात कहनी है , सारे चिट्ठों की चर्चा तो नही कर सकता मगर कुछ ब्लॉग जो मेरे पसंदीदा है उसकी चर्चा न करुँ तो बेंमानी होगा ।

इसी प्रकार गजलों मुक्तकों और कविताओं का एक नायाब गुलदश्ता है महक , जो अपनी महक से वातावरण को काव्यमय बनाने की दिशा में लगातार सक्रिय भूमिका अदा करता रहा । यहाँ आपको ग़ज़लों के स्वर सुनाई नही देंगे , मगर स्वरचित मुक्तकों, ग़ज़लों , कविताओं तथा विचारों की भावात्मक अनुभूति जरूर महसूस करेंगे, यह मेरा विश्वास है ।इस ब्लॉग पर प्रकाशित एक ग़ज़ल के कुछ शेर पढिये और कहिये कैसा महसूस किया आपने-“यूही किसी को सताना कभी अच्छा होता है , प्यार में खुद तड़पना कभी अच्छा होता है रिश्तों की नज़दिकोया बनाए रखने के लिए ,दूरियों का उन में आना कभी अच्छा होता है ”


ग़ज़लों एक और गुलदश्ता है अर्श , जिसकी पञ्च लाईन है “ जिंदगी मेरे घर आना जिंदगी “ अच्छी अभिव्यक्ति और सुंदर प्रस्तुति के साथ अपनी ग़ज़लों से ह्रदय के पोर-पोर बेधने में ये पूरे वर्ष भर कामयाब रहे इनकी ग़ज़लों के एक-दो शेर देखें- “ अब रोशनी कहाँ है मेरे हिस्से, लव भी जदा-जदा है मेरे हिस्से , गर संभल सका तो चल लूंगा – पर रास्ता कहाँ है मेरे हिस्से ....!” इस ब्लॉग को मेरी ढेरों शुभकामनाएं !

इस तरह के ब्लॉग की लंबी फेहरीश्त है हिन्दी चिट्ठाजगत पर, सबकी चर्चा करना संभव नही । फ़िर भी जो ब्लॉग मुझे ज्यादा पसंद है उसकी चर्चा के बिना आगे बढ़ पाना भी मेरे लिये संभव नही है । चलिए इसी श्रेणी के कुछ और उम्दा ब्लॉग पर नज़र डालते हैं -

ब्लॉग की इस महफ़िल में अनेक सुखनवर हैं, कोई राही है तो कोई रहवर है….आईये ऐसे हे इक ब्लॉग से आपका तारूफ करवाता हूँ , नाम है युगविमर्श । बहुत सारे सुखनवर मिलेंगे आपको इस ब्लॉग पर ।
दूसरा ब्लॉग है अरूणाकाश, गाजिआबाद की अरुणा राय की एक-दो पंक्तियाँ देखिये और पूछिए अपने दिल से की तुम इतने प्यारे क्यों हो ? अरुणा ख़ुद कहती है, की –“ प्यार करने का खूबां हम पर रखते हैं गुनाह उनसे भी तो पूछिए , तुम इतने प्यारे क्यों हुए….!” यह ब्लॉग भावनाओं की धरातल पर उपजी हर उस ग़ज़ल से रूबरू कराती है , जो इस ब्लॉग की सबसे बड़ी विशेषता रही , मगर अफशोश यह ब्लॉग किन्ही कारणों से आज हिन्दी चिट्ठाजगत में अक्तूबर -२००८ के बाद अस्तित्व में नही है । कुछ मजबूरियां रही होंगी ...... !
एक और ब्लॉग है महाकाव्य । तलत महमूद को पसंद कराने वाले कर्णाटक के ब्लोगर महेन मेहता का यह ब्लॉग शब्दों में महाकाव्य ढूँढता नज़र आता है । इस ब्लॉग का सम्मोहन स्पष्ट रूप से महसूस किया जा सकता है। एक क्लिक कीजिये और डूब जाईये ग़ज़लों की दुनिया में । आपको मिलेंगे यहाँ फरीदा खानम और बेगम अख्तर की आवाज़ का जादू , वहीं दुनिया की दूसरी भाषाओं से जुड़े आवाज़ के जादूगर । कातिल शिफाई की ग़ज़ल को सुनते हुए कोई भी व्यक्ति भीतर तक स्पंदित हो सकता है । अगर अब तक न आए हों तो इस ब्लॉग पर एक बार अवश्य पधारें , मुझे यकीन है फ़िर आप इसी के होकर रह जायेंगे – चलो अच्छा हुआ काम आगई दीवानगी अपनी , बरना हम जमाने भर को समझाने कहाँ जाते …….!यदि आप शेरो- शायरी के शौकीन हैं तो कोलकाता के अपने इस मीत से मिलना मत भूलिए , ये आपको अपने शेर से केवल गुदगुदाएँगे ही नही , वल्कि दीवानगी की हद तक भी ले जायेंगे । एक बार जाकर तो देखिये इस ब्लॉग पर फ़िर आप कहेंगे यार प्रभात ! तुमने तो मुझे दीवाना बना दिया । मेरा मानना है कि-


"किसी दरिया , किसी मझदार से नफरत नहीं करता , सही तैराक हो तो धार से नफरत नहीं करता ,यक़ीनन शायरी का इल्म जिसके पास होता वह -किसी नुक्कड़ , किसी किरदार से नफरत नहीं करता।"

अभी जारी है ......../

6 comments:

  1. आपका यह प्रयास सराहनीय है। इसे जारी रखें। नये साल की बधाई।

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  2. महाउपयोगी
    यह कार्य
    संदर्भ के लिए
    उपयोगी रहेगा।

    पिछले वर्ष कविता में

    इस वर्ष बेकविता है

    निस्‍संदेह इसकी उपयोगिता है।

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  3. अच्छी चल रही है जारी रखें !

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  4. बहुत बढ़िया कोशिश है यह ब्लॉग फलसफा बताने की ..

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  5. प्रभात जी नमस्कार,
    मुझ जैसे अदना को इस चिट्ठा जगत के हलचल में शामिल कर के ऐसा स्नेह दिया जिसे शब्दों में ब्यक्त करना कठिन है मेरे लिए मेरी गज़लें आप सभी को पसंद आईं इसका तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ ... ढेरो आभार और बधाई आपको...

    एक शे'र अर्ज करूँगा ...
    मुख्तसर है ज़िन्दगी क्या करे कोई..
    साँस आखरी बचे दुआ करे कोई ...
    आपका
    अर्श

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