हर्फ़ में जब तसब्बुर उतर जायेंगे ।

गीत तेरे उसी दिन संवर जायेंगे ।।



अपने दामन में भरने समंदर चलो -

वक़्त साहिल पे सारे गुजर जायेंगे ।।



मन से कोई तरन्नुम अगर छेड़ दो -

ज्वारभाटे दिलों में उत र जायेंगे ।।


खुलकर अकेले में जब भी हंसोगे -

अश्क सारे ग़मों के बिखर जायेंगे !!



अंग में अंग भर के कोई चूम ले -

जिस्म के पोर सारे सिहर जायेंगे ।।



लाख करले हिफाजत मगर ये "प्रभात" -

बक्त आएंगे जिसके वो मर जायेंगे ।।



यह ग़ज़ल माइकल जैक्सन की यादों को समर्पित है ......

() रवीन्द्र प्रभात

9 comments:

  1. मन से कोई तरन्नुम अगर छेड़ देगा -
    ज्वारभाटे दिलों में उतर जायेंगे
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    तसव्वुर आपका तो मेरे भी दिल मे उतर गया
    बहुत खूबसूरत रचना

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  2. बहुत सुन्दर जोरदार अभिव्यक्ति .

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  3. आपकी इस खुबसूरत ग़ज़ल को पढ़ने के बाद मेरी जुबान से इतना ही फूटा,

    बड़ा लगाव है उस शख्स से निगाहों को -
    की जिसके गीत से रोशन हुए हैं हम ......

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  4. लाख करले हिफाजत मगर ये प्रभात -
    बक्त आएंगे जिसके वो मर जायेंगे

    ये तो sachaai है जीवन की............ और आपने gazal में piro कर inko saarthak कर दिया है

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  5. बहुत ही उम्दा ग़ज़ल , इस ग़ज़ल को मैं बार-बार पड़ती रही और इसका एक-एक हर्फ़ तसबुर में उतरता चला गया .....हमें गर्व है की हमारे बीच आप जैसे उम्दा गज़लकार हैं .....

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  6. खुबसूरत ग़ज़ल,खुबसूरत ग़ज़ल...बधाई.

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