क्या है , इस बात क़ा अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है, कि वर्ष -२००७ में हिन्दी ब्लॉग की संख्या लगभग पौने चार हजार के आस- पास थी जबकि महज दो वर्षों के भीतर चिट्ठाजगत के आंकड़ों के अनुसार सक्रीय हिन्दी चिट्ठों की संख्या ग्यारह हजार के पार हो चुकी है .........वर्ष- २००९ में कानपुर से टोरंटो तक ......इलाहबाद से न्यू जर्सी तक ....... मुम्बई से लन्दन तक...... और भोपाल से दुबई तक होता रहा हिन्दी चिट्ठाकारी का धमाल ......छाया रहा कहीं हिन्दी की अस्मिता का सवाल तो कहीं आती रही हिन्दी के नाम पर भूचाल .....इसमें शामिल रहे कहीं कवि , कही कवियित्री , कहीं गीतकार , कहीं कथाकार , कहीं पत्रकार तो कहीं शायर और शायरा .....और उनके माध्यम से होता रहा हिन्दी का व्यापक और विस्तृत दायरा .....

कहीं चिटठा चर्चा करते दिखे अनूप शुक्ल तो कहीं उड़न तस्तरी प़र सवार होकर ब्लॉग भ्रमण करते दिखे समीर लाल जैसे पुराने और चर्चित ब्लोगर ....कहीं सादगी के साथ अलख जगाते दिखे ज्ञान दत्त पांडे तो कहीं शब्दों के माया जाल में उलझाते रहे अजित वाडनेकर ........कहीं हिन्दी के उत्थान के लिए सारथी का शंखनाद तो कहीं मुहल्ला और भड़ास का जिंदाबाद ......कारवां चलता रहा लोग शामिल होते रहे और बढ़ता रहा दायरा हिन्दी का कदम-दर कदम .....!

इस कारवां में शामिल रहे उदय प्रकाश , विष्णु नागर , विरेन डंगवाल , लाल्टू , बोधिसत्व और सूरज प्रकाश जैसे वरिष्ठ साहित्यकार तो दूसरी तरफ़ पुण्य प्रसून बाजपेयी और रबिश कुमार जैसे वरिष्ठ पत्रकार ....कहीं मजबूत स्तंभ की मानिंद खड़े दिखे मनोज बाजपेयी जैसे फिल्मकार तो कहीं आलोक पुराणिक जैसे अगड़म-बगड़म शैली के रचनाकार ......कहीं दीपक भारतदीप का प्रखर चिंतन दिखा तो कहीं सुरेश चिपलूनकर का महा जाल....कहीं रेडियो वाणी का गाना तो कहीं कबाड़खाना ....

एकतरफ़ कम्युनिटी ब्लॉग चोखेरवाली तो दूसरी तरफ़ रामपुरिया का हरियाणवी ताऊनामा यानि शब्दों की गरम-गरम प्याली.....कहीं आस-पास की घटनाओं को शब्दों में समेटता दिखा प्राईमरी का मास्टर तो कहीं अपनी दमदार आवाज़ को कविताओं कहानियों में ढालता रहा ॐ आर्य जैसा नया ब्लोगर ......एक साल की लंबी चुप्पी के बाद बसंत आर्य सक्रीय तो हुए ....मगर कभी जागे, कभी सो लिए ....कुल मिलकर वर्ष-२००९ में सर्वाधिक चिट्ठों की सक्रियता देखी गई।


चिट्ठाजगत की रैंकिंग पर गौर किया जाय, तो जो फैक्ट फिगर सामने आता है उसके आधार पर वर्ष-२००९ के प्रथम छमाही से पहले प्रथम पायदान पर मानसिक हलचल रहा जबकि दूसरे छमाही में 1. उड़न तश्तरी .... ....प्रथम पायदान पर दिखे .....इसी प्रकार दूसरे और तीसरे स्थान पर प्रथम छमाही में क्रमश: उड़न तश्तरी और मोहल्ला रहा जबकि द्वितीये छमाही में इन दोनों स्थान पर 2. मानसिक हलचल और 3. ताऊ डॉट इन ने अपना स्थान बनाया ......प्रथम छमाही में क्रमश: चौथे और पांचवें स्थान पर रहा हिंद युग्म और रवि रतलामी का हिन्दी ब्लॉग , जबकि द्वितीय छमाही आते-आते इस स्थान पर काबिज हो गए 4. हिन्द-युग्म और 5. मोहल्‍ला .....इसी प्रकार छठे और सातवें स्थान पर प्रथम छमाही से पूर्व फुरसतिया और भड़ास ब्लॉग था जबकि द्वितीय छमाही आते-आते6. फुरसतिया ने तो अपना स्थान बचाए रखा मगर सातवें स्थान पर काबिज हुए7. दीपक भारतदीप की शब्द- पत्रिका .....आठवें और नौवें स्थान पर प्रथम छमाही में अजदक और दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका ब्लॉग रहा, जबकि द्वितीय छमाही आते-आते इन दोनों स्थान पर क्रमश:8. दीपक भारतदीप की शब्दलेख-पत्रिका और9. चिठ्ठा चर्चा काबिज हो गए ...इसीप्रकार प्रथम छमाही से पूर्व दसवें स्थान पर कस्बा था , जबकि द्वितीय छमाही में इस स्थान पर 10. Hindi Blog Tips पहुँचने में सफल रहा है ।

पहली छमाही से पूर्व ग्यारहवें से चालीसवें स्थान पर रहे क्रमश:शब्दों क़ा सफर , रचनाकार , सारथी, आलोक पुराणिक की अगड़म-बगड़म , चिटठा चर्चा , मेरा पन्ना , दीपक भारतदीप की शब्दलेख पत्रिका , रेडियो वाणी , कबाड़खाना , राम पुरिया क़ा हरियाणवी ताऊनामा , दीपक भारतदीप का चिंतन , एको sहम ,महाजाल पर सुरेश चिपलूनकर , उन्मुक्त , शिव कुमार मिश्रा और ज्ञान दत्त पण्डे का ब्लॉग, अनवरत , तीसरा खंबा , नारी , एक शाम मेरे नम , प्रत्यक्षा , हिन्दी ब्लॉग टिप्स,नौ दो ग्यारह , आवाज़ , अमीर धरती गरीब लोग , घुघूती बासूती , चोखेर वाली , जोग लिखी , आवारा बंजारा, टूटी हुयी बिखरी हुयी और समाजवादी जन परिषद् ।

द्वितीय छमाही बीतने में वैसे तो अभी एक माह शेष है , मगर कल की रैंकिंग के अनुसार ग्यारहवें से चालीसवें स्थान पर जो ब्लॉग हैं वह इस प्रकार है -11. भड़ास blog 12. दीपक भारतदीप का चिंतन 13. शब्दों का सफर 14. अज़दक 15. रचनाकार 16. कबाड़खाना 17. कस्‍बा qasba 18. छींटें और बौछारें 19. सारथी 20. लो क सं घ र्ष ! 21. आलोक पुराणिक की अगड़म बगड़म 22. मेरा पन्ना 23. तीसरा खंबा 24. अमीर धरती गरीब लोग 25. महाजाल पर सुरेश चिपलूनकर (Suresh Chiplunkar) 26. अनवरत 27. दीपक भारतदीप की शब्दयोग-पत्रिका 28. एकोऽहम् 29. आदित्य (Aaditya) 30. मसिजीवी 31. नारी 32. आवाज़ 33. उन्मुक्त 34. Gyan Darpan ज्ञान दर्पण 35. Vyom ke Paar...व्योम के पार 36. क्वचिदन्यतोअपि..........! 37. निर्मल-आनन्द 38. घुघूतीबासूती 39. सच्चा शरणम् 40. उच्चारण

उपरोक्त रैंकिंग दिनांक २३.११.२००९ की सायं ०७ बजे तक की है जो अस्थायी है , किंतु स्थायी रैंकिंग कुछ और होती है ।हम आज से शुरू कर रहे हैं हिन्दी ब्लॉग विश्लेषण श्रृंखला के अंतर्गत अपनी पसंदीदा ५० शीर्ष हिन्दी ब्लॉग की चर्चा , जिसमें उनकी सक्रियता का आकलन हम करेंगे चिट्ठाजगत , एलेक्सा,तेकनोरिति रैंकिंग के साथ-साथ गूगल पेज रैंक का अवलोकन कर .....साथ हीं उनके द्वारा प्रस्तुत हर महीने के प्रमुख पोस्ट का चयन कर उनकी विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए हम बताएँगे कि कैसे ये ब्लॉग मेरे पसंदीदा है ....उसके बाद के क्रम में हमारा प्रयास होगा कि वर्ष-२००९ में अपनी उपस्थिति से जिन नए चिट्ठों ने धमाल मचाया है उनकी भी चर्चा करूँ ....आशा है मेरे पसंदीदा ब्लॉग आपको भी पसंद आयेंगे ....!


आज बस इतना हीं मिलते हैं एक छोटे से विराम के बाद ....!

17 comments:

  1. बढ़िया विश्लेषण
    अगली कड़ी की प्रतीक्षा

    बी एस पाबला

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  2. इस शोध प्रबन्ध का दस्तावेजी महत्व है- ताकि सनद रहे..

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  3. सार्थक शब्दों के साथ अच्छी चर्चा, अभिनंदन।

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  4. बेहतरीन जी...ताऊ और महाताऊ पाण्डॆ जी की हलचल...सही पकड़ बना रखी है आपके आलेखों ने. जय हो!! जल्द मुलाकात की उम्मीद है जी.

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  5. निरन्तर दृष्टि रखते रहे हैं आप - प्रविष्टि-दर-प्रविष्टि, रैंक-दर-रैंक ।

    आपने अपने चयन और वि्श्लेषण का जो ढंग बताया है, काफी निखर कर आयेगा यह विश्लेषण । हमें प्रतीक्षा है उन पचास चिट्ठों की । आभार ।

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  6. bahut बढ़िया रहा है इन्तजार रहेगा अगली कड़ी का शुक्रिया

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  7. इतने दिनों से आपको पढ़ते जा रहा हूं, मगर आज कमेंट लिखने से खुद को नहीं रोक पाया.. बढ़िया लिख रहे हैं, आप्के अगले पोस्ट का इंतजार रहेगा..

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  8. दूसरे को पढ़ते रहने से ही आप जान पाते हैं वह कैसे लिखते हैं पर अपने लिखे का पीछा बहुत अधिक नहीं करना चाहिये। -दीपक भारतदीप


    बिलकुल सटीक और सार्थक !!!

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  9. 2009 के विश्लेषण के काफी नये ब्‍लागो का उदय हुआ है, इसमें किसी को बेहतन न कहा जाये तो उनके साथ अन्‍याय होगा।

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  10. आज फुरसत से बैठा हूँ रविन्द्र जी "परिकल्पना" पर...फिर-फिर से अचंभित हैरान होता हुआ।

    कैसे कर लेते हैं आप इतना सब?

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