निर्मला जी की ग़ज़लों को आत्मसात करने के बाद आईये अब ग़ज़ल के इस कारवाँ को आगे बढाते है .....



() सबसे पहले आईये नीरज गोस्वामी की दो ग़ज़लों को अपने जेहन में उतारते हुए महसूस करते हैं सृजन के इस अनोखे सुख को .....यहाँ किलिक करें



() देश के लिए मर-मिटने के संकल्प के साथ जीवन और जीविका में सामंजस्य बिठाने वाले एक मेजर यानी गौतम राजरिशी की दो ग़ज़लों को आज हम इस श्रृंखला में लेकर आये हैं .....यहाँ किलिक करें



() और अब एक ऐसे नौजवान शायर की शायरी से आपको रूबरू कराते हैं जिसकी शायरी को बांचने के बाद आपके होठों से बरबस निकालेंगे ये शब्द क्या बात है नाम है अर्श .....यहाँ किलिक करें 



जारी है उत्सव मिलते हैं एक अल्प विराम के बाद

4 comments:

  1. niraj ji, gautam aur arsh ki rachanaaon se blog utsav kaa anand barh gayaa. vaise anya sabhi ki rachanaaye, bhi iss utsav ko nikharati rahi hai. aapkaa pryaas bejod hai. charcha me bhi hai. badhai.

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  2. तारीफें जितनी की जाए कम है ...इस आयोजन से निश्चय ही ब्लॉग जगत धन्य हो गया है ....इतनी उत्कृष्ट रचनाएँ पढ़ने को मिल रही है की टिपण्णी करना हम भूल जा रहे हैं ....आनंद आ गया इस उत्सव में शामिल होकर !

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  3. तीनों प्रस्तुतियां देख आया हूँ !
    गज़ल का पूरा शमां ही बँध गया है उत्सव में !
    आभार ।

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