नेट का ज़माना है ... बेबी स्टेप्स में सबकुछ करना है ...... या खुदा कैसा ये ज़माना है .................
नीता कोटेचा की बातें , .... बात निकली तो हर इक बात पे हँसी भी आई रोना भी आया
कहाँ खड़े है हम...

नई नई जब मैं नेट जगत में आई ,
मुझे किसीने कहा - JSK ,
मै हैरान रह गई..
( वो बंदा था शेर मार्केट का ),
मै समझी कोई कंपनी के बारे में बता रहा है..
तो मैंने पूछा ये कौन सी कंपनी है
उसने कहा क्या भाभी इसका मतलब जय श्री कृष्णा
ओह्ह मै तो वहीं बैठ के रह गई...
कि अब भगवान् भी अलग नाम से बुलाने जाने लगे..

ऐसे ही एक बार एक लड़का मीला नेट पे,
उसने कहा ..हाय नीतू कैसी हो ?
मैंने कहा : भैया, आप हो कौन? और हमने तो आपको इजाजत दी नहीं नीतू कहने की..
पहले अपना परिचय तो दो...
तो उसने कहा " वाट नीतू , यहाँ क्या उम्र क्या परिचय यहाँ तो बस इसी तरह की बात होती है..."
मैंने पुछा " तुम्हारी उम्र तो बताओ?
उसने कहा" खुश हों जाओगी. मै हूँ सिर्फ २१. का और तुम हो ४२ की..बोलो कैसी रहेगी दोस्ती?
मैंने कहा " हां बेटा वैसे भी मुझे उपरवाले ने बेटा नहीं दिया , चलो अच्छा रहेगा रिश्ता.."
तब से आज तक वो मुझे दिखा नहीं..

एक बार जा रही थी बाहर सब्जी लेने ...
रास्ते में एक लड़का एक लडकी जा रहे थे..
अचानक लड़के ने लड़की को जोर से चांटा मारा ..
मेरा दिमाग झन्ना गया...
मै उनके पास गई और लड़के को कहा" भैया क्यों तुमने इस बेचारी को मारा ?
तभी लडकी ने बीच में आ के कहा " क्या आप मेरी मम्मी हैं ?
मैंने कहा " नहीं"
तो उसने कहा " क्या आप मेरी रिश्तेदार है?
मैंने कहा " नहीं"
तो लडकी बोली " फिर इसने मुझे मारा उसमें आपको कहाँ परेशानी हुई ?
मैंने कहा" बेटा. तुम्हारी उम्र की मेरी भी बेटी है, और मुझे तुम में वो ही दिखाई दी, इसलिए बर्दाश्त नहीं हुआ ..और क्या ये तुम्हारा भाई है? या है होने वाला पति..कि तुमने उसे मारने की इजाजत दी है..इस तरह सहोगी तो जिंदगी ऐसे ही मार खाने में जाएगी:"
पर कुछ जवाब दिए बिना लड़की लड़के का हाथ पकड़ कर वहाँ से दूर चली गई..
और लड़का मेरे सामने व्यंग्य से हँसता रहा...


मेरे दिल में घबराहट हो गई ..कहाँ पहुंचेगी ये आधुनिकता..जहाँ ना उम्र का लिहाज है .ना इंसान का..बस सब सिर्फ खुद के लिए जियेंगे..और सिर्फ आज के लिए जियेंगे.. ना किसीको माता पिता के नाम की फिकर है ना खुद के भविष्य की..कहाँ ले जायेगी ये आधुनिकता..!!!

नीता कोटेचा
http://neeta-myown.blogspot.com/
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चलिए अब चलते हैं ब्लॉगोत्सव की ओर :


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इसी के साथ ब्लॉगोत्सव के पच्चीसवें दिन का कार्यक्रम संपन्न, मिलते हैं पुन: परसों यानि वुधवार को सुबह ११ बजे परिकल्पना पर,तबतक के लिए शुभ विदा !

10 comments:

  1. गहरी संवेदनाओं के धरातल पर उपजाई गयी सृजन की इस पौध के बारे में कहने के लिए शायद शब्द कम पद जाए, अच्छी लगी आपकी अभिव्यक्ति !

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  2. “परिवर्तन का दंश है, पीड़ित है संसार
    शायद न दे पाए हम, पीढ़ी को संस्कार”

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  3. बहुत ही बढि़या प्रस्‍तुति ।

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  4. बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण प्रस्तुती! लाजवाब पोस्ट

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  5. नीता जी ने बिल्कुल सही बात उठायी है………बहुत सुन्दर लेखन्।

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  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||

    बधाई स्वीकार करें ||

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  7. dard aur khushi sab hum kalam ke jariye hi to jata sakte hai..to bas ye dard hi tha...ki kaha pahuchegi ye aadhunikta..

    bahot bahot shukriya Rashmiji ka jinhone muje parikalpna me sthan dene yogya samaja aur sab vachak mitro ka jinhone meri rachna ko pasand kiya...

    http://neeta-myown.blogspot.com/

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  8. कहाँ ले जायेगी ये आधुनिकता ?
    सचमुच बहुत बड़ा प्रश्न है वर्तमान के सामने

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  9. bahut sahi...
    Neeta ji ekdam sahi baat kahi... aur ekdam sahi mudda uthaya... aajakal is net ke chakkar mei to pata nahi sabhi ko kya ho gaya hai...
    n specially females ka to aise logon se yunhi pala padta rahta hai...

    जवाब देंहटाएं

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