जब हम करते हैं कोई प्रयास
तो नहीं सोचते कि यह  
महत्वहीन हो जाएगा क़ल 
या फिर सर-आँखों पर बिठाएगा यह समाज 
छोटे से इस प्रयास को 
दे देगा अचानक आसमान की ऊँचाई 
और पहुँचा देगा इसे एक नए आयाम तक 

आज से छ: माह पूर्व 
मैंने और अविनाश जी ने सजाया था एक गुलदश्ता
रख दिए थे हिंदी साहित्य निकेतन के दरीचे पे 
ताकि वहां से साहित्य और चिट्ठाकारिता की खुशबू 
फैले पूरे विश्व में 
और  हम चिट्ठाकारों को भी हो 
अपने होने का एहसास 

आज हिंदी ब्लॉगिंग पर आ चुकी है 
मेरी  दो महत्वपूर्ण पुस्तकें 
एक "हिंदी ब्लॉगिंग : अभिव्यक्ति की नई क्रान्ति "
और दूसरी "हिंदी ब्लॉगिंग का इतिहास"
कई समाचार पत्रों ने खूब लिखा इन पुस्तकों के बारे में 
खूब हुई चर्चा 
और चला लगातार समीक्षाओं का दौर 
अभी भी -
नहीं लगा है विराम समीक्षाओं पर 
दैनिक जनसंदेश टाइम्स ने आज
"हिंदी ब्लॉगिंग: अभिव्यक्ति की नई क्रान्ति" की प्रमुखता के साथ 
प्रकाशित की है समीक्षा 
आप भी देखिये ......

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