चौबे जी की चौपाल 


आज चौबे जी बहुत खुश हैं कई टन खुश । चुहुल के बीच चौपाल में चौबे जी ने कहा कि हाथी के रौंद गये साईकिल सवारहथवा मरोड़ गएफूलवा निचोड़ गएदे गये धोबिया पछाड़ मोरे भईया...माया की माया पे कईके कुठारटोपी पहनाये गएपनिया पिलाए गएयू. पी. कनया युवराज मोरे भईया । एही परिप्रेक्ष्य मा एगो  पौराणिक कथा हराम भरोसे कि छोटे से श्रीकृष्ण पर मामा कंस ने कुवलियापीढ़ हाथी छोड़ देले रहलें । कृष्ण वीरता से सामना करके ओके पछाड़ देलें । इहे काम कईलें हअखिलेश बबुआ अपने उत्तर प्रदेश मा।"     

"एकदम्म सही कहत हौ महाराज। जब से नेताजी के बहुमत मिला है,राजनीति की कुर्सी मा अचानक जान आ गयी है ससुरी। कछुए अपनी खाल मा छुप गए हैं। पतली हो गयी है गेंडे की खाल । बीच सड़किया पे रेंगते बैशाखनंदन नहीं दिखाई पड़ रहे। अपने प्रदेश के बदन पर फोड़े में खाज बनि गए ससुरे स्वास्थ विभाग के कारिंदे की अब खैर नाही महाराज । ना प्रदेश मा अब कवनो काण्ड होईहें और ना खुलेआम फिरिहें कोई सांड। काहे कि सर पे टोपी लाल पहिनके खतरे की घंटी बजावत आ गईलें यू.पी. कनया युवराज बोला राम भरोसे।


इतना सुनकर रमजानी मियाँ से रहा नही गयाअपनी लंबी दाढ़ी सहलाई और मुंह के पान पर हल्का सा चुना तेज़ करके फरमाया "बरखुरदारहाथी की चाल गलत दिशा मा मुड़ी गयी थीजनता फाईनल रिपोर्ट लगा दिहिलिस  भाजपा के न माया मिलल  राम । कॉन्ग्रेस के होई गए काम तमाम। हाथी से हजार हाथ दूर रहे खातिर क्रेन के व्यवस्था भी ना करे के पडल मुलायम केसयिकिलिये से काम चल गईल । सबसे बुरा हाल मियाँ राजधानी लखनऊ के सीटन के भईल,एगो मिसिर बाबा के,एगो रीता बहिनी के और बाकी सब लाल टोपी बालन के। कहे के मतलब ई हs कि चाहे कॉन्ग्रेस हो चाहे भाजपान खुदा ही मिला न विशाले सनमन इधर के रहे न उधर के रहे । अब तो दुकनिया चटक गयी अखिलेश की। बेचारी बहिन जी सोची भी नहीं रही होगी कि जनता मुलायम के पक्ष मा इतना कठिन निर्णय लेगी। बहिन जी पर एक शेर अर्ज़ है मियाँगौर फरमाईयेअर्ज़ किया है कि - फिसले जो इस जगह तो लुढ़कते चले गएहमको पता नहीं था कि इतना ढलान है ।" का गलत कहत हईं गजोधर ?"


"अरे नाही रमजानी भैयातू और गलत कबो नाही हो सकत । वैसे राजनीति की माया भी ससुरी बड़ी अजीव है। खेल के एगो सिद्धांत हकि कवनो टीम कभी घटिया नाही होत,घटिया कप्तान होत है। बढ़िया कप्तान टीम के रसातल से शिखर पर लेई जात है और खराब कप्तान ससुरी बढ़िया टीम के भी बड़ा गर्क करी देत है।जीत मिलत रहे तो खराब कप्तान के भी सौ खून माफ़ । मुक्कदर का सिकंदर भी वही । हार मिले तो गालियाँ भी वही के हिस्से मा आवत है और छछुंदर भी वही कहलत हैं भले ही ऊ कभी मजबूत कप्तान काहे न रहल होए। ईहे  नियम राजनीति के मैदान मा भी लागू होत है रमजानी भैया । जो जीता ऊ सिकंदर और जो नाही जीता ऊ छछूंदर । जहां तक यू. पी. की राजनीति का सवाल हैपिछले पांच साल में जो विकास की गति थम गयी थी ससुरीओके गति देवे में मुलायम सरकार के कठोर होए के पडीतबे उत्तर प्रदेश की धरती पर फिर से विकास की गंगोत्री निकल पायी। मुलायम चचा और अखिलेश बबुआ के हमार इहे सलाह बाटे कि- फिर अतीत के चक्रवात में दृष्टि न उलझा लेना तुमअनगिनत झोंके उन घटनाओं को दोहराने आयेंगे।" बोला गजोधर  

मगर तिरजुगिया की माई से ना रहल गईल  कहली कि " यू.पी. के जनादेश की सच्चाई ई है बबुआ कि अन्ना ले डूबलें कॉन्ग्रेस केराम मंदिर का स्वांग ले बीता भाजपा कोहाथी अपने खाए के दांत अलग और दिखावे के दांत अलग करके पीछे कुआं खोद लिहले और आगे खायीचारो खाने चित हो गईली महामाई। आमदनी अठन्नी पर खर्चा रुपैया कईके प्रदेश के कई देली बुरा हालयानी कि मामला ठन-ठन गोपाल। उत्तर प्रदेश के नेता लोग जईसन कईले ओयिसन भोगत बड़े । ऊपर वाले की मर्जी से जनता जनार्दन उनके अईसन सजा दिहलें कि वे न तीन के रहे न तेरह के । सपा खातिर भी इतना आसान नाही है सत्ता की डगरबसपा जे आग का दरिया खोद के गयी है बबुआ ओ मा डूब के जाए के पडी मुलायम और अखिलेश केका गलत कहत हईं ?" 

हम्म तोके बतावत हईं चाचीइतना कहके बीच में कूद पडा गुलटेनवा। बोला जवन प्रदेश की जनता जातियों के सैकड़ों छोटे-छोटे खानों में बटी होवहां झगड़े-फसाद को रोकना सपा की पहली प्राथमिकता होगी चाची। जवन प्रदेश मा रोजगार का कोई साधन न हो वहां युवा फ़ौज को अपराध के रास्ते पे जाने से रोकना नई सरकार की दूसरी प्राथमिकता होगी चाची  जवन प्रदेश मा राजनेता अपराधियों को संरक्षण दे उस प्रदेश को अपराधियों से मुक्त कराना सरकार की तीसरी प्राथमिकता होगी चाची । जवन प्रदेश की पुलिस फ़ोर्स और सरकारी मशीनरी दागी विधायक के आगे-पीछे दिखाई देत हैंवहां अमन-चैन सरकार की चौथी प्राथमिकता होगी चाची । अखिलेश की आँखों में कुछ करे के साफ़ संकल्प दिखाई देत है,तस्वीर जरूर बदली उत्तर प्रदेश की चाची । बस आगे-आगे देखहोत है का ?"     

एकदम्म ठीक कहत हौ गुलटेनशुभानल्लाह ! हमरे मन की बात ठोकी है हमरे ऊपर भैया गुलटेन । उत्तर प्रदेश के ई जनादेश पर दुष्यंत साहेब का एक शेर और अर्ज है कि "तरस रहा है मन फूलों की नई गंध पाने कोखिली धूप मेंखुली हवा मेंगाने मुस्काने को !" रमजानी मियाँ ने फरमाया 


बाह-बाह क्या बात है रमजानी मियाँ ! एकदम्म सही कहे हो यानी सोलह आने सच बचवा । तो चलो अखिलेश बबुआ की ताजपोशी का इंतजाम करते हैं और उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने की दिशा में काम करते हैं  इतना कहके चौबे जी ने चौपाल अगले शनिवार तक के लिए स्थगित कर दिया 


रवीन्द्र प्रभात 
(डेली न्यूज एक्टिविस्ट/11मार्च 2012) 

4 comments:

  1. जो जीता ऊ सिकंदर और जो नाही जीता ऊ छछूंदर ।

    एकदम्म सही कहत हाउ चौबे जी महाराज !

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  2. क्या मस्त चौपाल सजाया है चौबे जी ने ....विल्कुल गवई बतकही से मन झूम झूम गया !

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  3. बहुतै बढ़िया चौपाल,मजा आवा। अब द्याखैक परी कि आगे का होत है...

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  4. बहुत ही बढिया
    ...

    कल 14/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.
    आपके सुझावों का स्वागत है .. धन्यवाद!


    सार्थक ब्‍लॉगिंग की ओर ...

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