निर्धन नारी का
हर दिन इकसार होता है
सुबह चूल्हे से प्रारम्भ होती है
दोपहर दो जून रोटी के लिए
कड़ी मेहनत में गुजरती है
रात को वैवाहिक रिश्ते की
आग शरीर को जलाती है
यही उसका

आमोद प्रमोद होता है
किस दिन को
अच्छा किस दिन को बुरा कहे
उसका हर दिन ऐसे ही गुजरता है
कभी बीमारी से शरीर टूटता है
कभी बच्चों के लिए रोना पड़ता है
कभी ज़माने के



तानों से दिल जलता है
निर्धन नारी का
हर वार त्योंहार ऐसा ही होता है
हर दिन

कुछ ना कुछ सहना होता है
ज़िन्दगी भर

मर मर कर जीना होता है
निर्धन नारी का
हर दिन इकसार होता है
जीवन उसका अभिशाप होता है

34-173-10-08-2013

जीवन,जिंदगी,निर्धन,निर्धन,निर्धनता ,नारी
डा.राजेंद्र तेला,निरंतर

5 comments:

  1. आदरणीय आपकी यह प्रस्तुति 'निर्झर टाइम्स' पर लिंक की गई है।
    http://nirjhar.times.blogspot.in पर आपका स्वागत् है,कृपया अवलोकन करें।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर ,निर्धन नारी का तस्वीर हुबहू खींचकर रख दिया -बधाई
    latest post नेताजी सुनिए !!!
    latest post: भ्रष्टाचार और अपराध पोषित भारत!!

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर ,निर्धन नारी का तस्वीर हुबहू खींचकर रख दिया -बधाई
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  4. हर नारी का
    हर दिन इकसार होता है
    जीवन उसका अभिशाप होता है ....

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