tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post1188080837540350945..comments2024-03-27T23:49:38.899+05:30Comments on परिकल्पना: ब्लॉगोत्सव-२०१४, चौथा दिन: पत्रकार,सौंदर्य और नज़्म सा स्वभावरवीन्द्र प्रभातhttp://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-9234666314318261982014-06-07T20:48:51.842+05:302014-06-07T20:48:51.842+05:30आज बहुत दिनों के बाद बहुत कुछ बहुत अच्छा पढ़ने को म...आज बहुत दिनों के बाद बहुत कुछ बहुत अच्छा पढ़ने को मिल गया :)सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-63678066620006928572014-06-06T06:01:18.575+05:302014-06-06T06:01:18.575+05:30तुमसे बरसों मैनें यही मांगा था
मुझे औरत बनाना, आंस...तुमसे बरसों मैनें यही मांगा था<br />मुझे औरत बनाना, आंसू नहीं<br />तब मैं कहां जानती थी<br />दोनों एक ही हैं।<br /><br />बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति है वर्तिका जी की रचनाओं में <br />Vandana Ramasinghhttps://www.blogger.com/profile/01400483506434772550noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-87001761886009976572014-06-05T18:12:00.743+05:302014-06-05T18:12:00.743+05:30क्योंकि तुम औरत नहीं हो
तुमने औरत के गर्म आंसू की ...क्योंकि तुम औरत नहीं हो<br />तुमने औरत के गर्म आंसू की छलक<br />अपनी हथेली पर रखी ही कहां?<br />विभा रानी श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/01333560127111489111noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-25527633265210391492014-06-05T16:22:24.890+05:302014-06-05T16:22:24.890+05:30बहुत सुन्दर प्रस्तुति.... स्त्री तो स्वयं शक्ति हो...बहुत सुन्दर प्रस्तुति.... स्त्री तो स्वयं शक्ति होती है .. Neeraj Neerhttps://www.blogger.com/profile/00038388358370500681noreply@blogger.com