tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post1650605618071091907..comments2024-03-27T23:49:38.899+05:30Comments on परिकल्पना: बेचैन आत्मा सत्यार्थी होती है ...रवीन्द्र प्रभातhttp://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-23739404544878600432012-12-28T19:00:45.972+05:302012-12-28T19:00:45.972+05:30इस सम्मान के लिए आपका आभार। आपकी पारखी नज़र को भी ...इस सम्मान के लिए आपका आभार। आपकी पारखी नज़र को भी प्रणाम। आपने जो कविताएँ चुनी वे मुझे भी अत्यधिक प्रिय हैं। एक पंक्ति में टंकण दोष रह गया है...<br /><br />आर्थिक रूप से भरे विकलांग हो<br /><br />कृपया.. आर्थिक रूप से भले विकलांग हो..बना दीजिए।..धन्यवाद।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-1892265401748898382012-12-28T17:24:49.058+05:302012-12-28T17:24:49.058+05:30प्रभावशाली लिंक संयोजन ..विशेष रूप से काविता '...प्रभावशाली लिंक संयोजन ..विशेष रूप से काविता 'फाइलें' का व्यंग्य बेहद हृदयस्पर्शी लगा.shalini rastogihttps://www.blogger.com/profile/07268565664101777300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-1745986407187613172012-12-28T15:26:33.910+05:302012-12-28T15:26:33.910+05:30पतली फाइल बोली-
मैं जिसकी फाइल हूँ
वह बुध्दी से वण...पतली फाइल बोली-<br />मैं जिसकी फाइल हूँ<br />वह बुध्दी से वणिक<br />कर्म से गुंडा<br />भेष से नेता<br />ह्रदय का शैतान <br />है<br />उसकी मुट्ठी में देश का वर्तमान है<br />वह आजादी से पहले वाला हिन्दुस्तान नहीं<br />आज का भारत महान है।<br />सच्ची तस्वीर !!विभा रानी श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/01333560127111489111noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-4673963795897521202012-12-28T12:19:25.927+05:302012-12-28T12:19:25.927+05:30 नाली में तैरते कागज की नाव को खोलकर
पढ़ने लगता है... नाली में तैरते कागज की नाव को खोलकर<br />पढ़ने लगता है उसका बेटा<br />प्रकृती सभी को सामान रूप से बांटती है<br />धूप, हवा और पानी. खोरेन्द्र https://www.blogger.com/profile/16964838805138081044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-24996442633809282692012-12-28T11:05:21.330+05:302012-12-28T11:05:21.330+05:30सिर्फ इतना ही कहना चाहूँगा , शुक्रिया मुझे एक और ल...सिर्फ इतना ही कहना चाहूँगा , शुक्रिया मुझे एक और लेखक देने के लिए जिनका मैं नियमित पाठक बनना चाहूँगा |<br />आपके लेखन की स्पष्टवादिता का कोटि-कोटि वंदन|<br /><br />सादरAkash Mishrahttps://www.blogger.com/profile/00550689302666626580noreply@blogger.com