tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post2799586618323231786..comments2024-03-27T23:49:38.899+05:30Comments on परिकल्पना: मौत दे दे मगर जग हंसाई न दे ।रवीन्द्र प्रभातhttp://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-2024273550577343802010-11-12T11:52:15.994+05:302010-11-12T11:52:15.994+05:30कद ये छोटा लगे कुछ दिखाई न दे
रब किसी को भी ऐसी ऊँ...कद ये छोटा लगे कुछ दिखाई न दे<br />रब किसी को भी ऐसी ऊँचाई न दे ।<br /><br />मुफलिसों को न दे बेटियाँ एक भी -<br />मौत दे दे मगर जग हंसाई न दे ।<br /><br /><br />जिससे तुम हो न राजी इलाही कभी-<br />बदनुमा-बदचलन रहनुमाई न दे ।<br />प्तभात जी गहरा चिन्तन और भावनायें लिये हैं ये उमदा शेर। गज़ल बहुत अच्छी लगी। धन्यवाद।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-32799725912238411592010-11-11T21:53:17.510+05:302010-11-11T21:53:17.510+05:30niceniceRandhir Singh Sumanhttps://www.blogger.com/profile/18317857556673064706noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-47604615618782635032010-11-11T15:26:48.385+05:302010-11-11T15:26:48.385+05:30ये पंक्तियाँ बेहतरीन लगीं:
"यूँ रहो बेखबर अब ...ये पंक्तियाँ बेहतरीन लगीं:<br />"यूँ रहो बेखबर अब न इस दौर में-<br />कि पडोसी कि आहें सुनाई न दे"<br /><br />बहुत अच्छा लगा..<br /><br />आभारPratik Maheshwarihttps://www.blogger.com/profile/04115463364309124608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-26819297433295771112010-11-11T13:35:59.394+05:302010-11-11T13:35:59.394+05:30बहुत सुन्दर और सराहनीय प्रस्तुती..........बड़ी दुख...बहुत सुन्दर और सराहनीय प्रस्तुती..........बड़ी दुखद स्थिति है देश और समाज की.......लोगों को दो वक्त की रोटी और अपने बच्चों को पढ़ाने तथा उसके पालन पोषण के इंतजाम को ही इस भ्रष्ट मनमोहन सिंह सरकार ने इतना दर्दनाक बना दिया है की लोगों को देश और समाज के दर्द को महसूस करने का वक्त या यों कहें ही हिम्मत ही नहीं है अब ......नेहरु खानदान तथा उसके भ्रष्ट वंसजों ने इस देश को बर्बाद कर दिया है .....लेकिन वक्त इस खानदान के नाम पर जमकर थूकेगा एकदिन ......honesty project democracyhttps://www.blogger.com/profile/02935419766380607042noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-79787249651043323772010-11-11T12:25:50.825+05:302010-11-11T12:25:50.825+05:30यूँ रहो बेखबर अब न इस दौर में-
कि पडोसी कि आहें सु...यूँ रहो बेखबर अब न इस दौर में-<br />कि पडोसी कि आहें सुनाई न दे ।<br /><br />बहुत ही चिंतन परक शब्द रचना ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.com