tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post2976186268363064165..comments2024-03-27T23:49:38.899+05:30Comments on परिकल्पना: मौन मौन कहाँ होता है !!!रवीन्द्र प्रभातhttp://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-89486687320650764522012-12-29T08:18:36.387+05:302012-12-29T08:18:36.387+05:30
बहुत आभार !
आकाश , आपका बहुत शुक्रिया , अच्छा लगा...<br />बहुत आभार !<br />आकाश , आपका बहुत शुक्रिया , अच्छा लगा कि कहानी से आपकी स्मृतियाँ सजीव हो उठी ! एक खूबसूरत याद को साझा करने का शुक्रिया !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-86037693070919864962012-12-26T21:13:59.314+05:302012-12-26T21:13:59.314+05:30अच्छे चयन...
मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार.....अच्छे चयन...<br />मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार....वीना श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09586067958061417939noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-27374632624306538042012-12-26T20:03:00.955+05:302012-12-26T20:03:00.955+05:30उत्कृष्ट चयन...उत्कृष्ट चयन...Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-32947578459211187742012-12-26T18:16:48.620+05:302012-12-26T18:16:48.620+05:30वीणा श्रीवास्तव)
समय ने आज
फिर दिखाया दर्पण मुझे
क...वीणा श्रीवास्तव)<br />समय ने आज<br />फिर दिखाया दर्पण मुझे<br />कितना बदल गया है<br />चेहरा मेरा<br />वो भाव<br />वो मासूमियत<br />वो अल्हड़पन<br />वो बचपन<br />कहीं छूट गया पीछे<br />nice .. खोरेन्द्र https://www.blogger.com/profile/16964838805138081044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-64511228033259064782012-12-26T18:14:46.612+05:302012-12-26T18:14:46.612+05:30utkrisht links chayan di ...utkrisht links chayan di ...Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-57002747590931331592012-12-26T17:51:31.466+05:302012-12-26T17:51:31.466+05:30मौन मौन ही होता है
*समझ लो तो शब्द
नहीं तो एक सन...मौन मौन ही होता है <br />*समझ लो तो शब्द <br />नहीं तो एक सन्नाटा !!!<br />समझने वाले से कोई पूछे ,आखिर कब तक ...........<br />शुभकामनायें !! <br />विभा रानी श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/01333560127111489111noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-39117198487391429082012-12-26T17:06:27.976+05:302012-12-26T17:06:27.976+05:30
अपने पास तो
अपनी वज़हों के लिए
खामोशियाँ ही बचत...<br />अपने पास तो <br />अपनी वज़हों के लिए <br />खामोशियाँ ही बचती है<br />............. अक्सर ऐसा ही होता है जब मौन मन के आँगन उतरता है <br />सभी रचनाएं बेजोड़<br /> चयन एवं प्रस्तुति का आभार<br /><br />सादर<br /><br />सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-71672238139052768332012-12-26T16:52:34.894+05:302012-12-26T16:52:34.894+05:30सबसे पहले तो गिरिजा जी , वीणा जी और मुकेश जी की कव...सबसे पहले तो गिरिजा जी , वीणा जी और मुकेश जी की कवितायें बहुत अच्छी लगीं | बखूबी खामोशी को शब्दों की जुबान दी है |<br />लेकिन मैं सबसे ज्यादा शुक्रिया करना चाहूँगा वाणी जी का | अगर आप ये कमेन्ट पढ़ें तो मेरा सादर प्रणाम स्वीकार करें | आपकी कहानी पढ़ते-पढ़ते मेरी आँखों के आगे मेरे बचपन की एक-एक तस्वीर सजीव होती जा रही थी | मेरा एक बचपन का दोस्त था आशीष , मुझे याद भी नहीं कि उस से पहले मेरा कोई दोस्त था भी कि नहीं | साथ में स्कूल , साथ खेलना , किस्मत से कुछ दिनों में हमारे घर भी पास-पास हो गए , हर शैतानी में साथ , हर प्रशंसा में साथ , अक्सर ही नंबर भी लगभग बराबर ही आते थे , यहाँ तक कि काफी लोग हमारे नाम भी नहीं जानते थे , किसी एक के नाम से दोनों का काम चल जाता था | फिर हम लोगों ने साथ में इंजीनियरिंग की तैयारी शुरू की | मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मुझे उस से अलग किसी कॉलेज में जाना पड़ेगा लेकिन अंत में वही हुआ | आश्चर्य की बात तो ये है कि मेरे कॉलेज में लड़के उसे जानते भी नहीं हैं फिर भी गलती होने पर मेरा नाम आशीष ही पुकारते हैं |<br />शुक्रिया इतनी अच्छी यादों के लिए |<br /><br />सादरAkash Mishrahttps://www.blogger.com/profile/00550689302666626580noreply@blogger.com