tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post5018079971630298847..comments2024-03-27T23:49:38.899+05:30Comments on परिकल्पना: ग़ज़ल की विकास यात्रा पर एक नज़ररवीन्द्र प्रभातhttp://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-83467876045031154262008-01-18T19:47:00.000+05:302008-01-18T19:47:00.000+05:30बहुत ज्ञानवर्धक लेख. इस विषय पर काफी खोजने के बाद ...बहुत ज्ञानवर्धक लेख. इस विषय पर काफी खोजने के बाद आपका यह गजल-परिचय हाथ आया आभार. इसी तरह ज्ञानवर्धक लेख देते रहें.<BR/><BR/>पेराग्राफ के बीच अतिरिक्त खाली पंक्ति जोडना ना भूलें. इससे पठनीयता बढती है.Shastri JC Philiphttps://www.blogger.com/profile/00286463947468595377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-35899444988615507992008-01-13T14:16:00.000+05:302008-01-13T14:16:00.000+05:30ग़ज़ल के बारे में जानकारी बेहद महत्वपूर्ण है , एक ...ग़ज़ल के बारे में जानकारी बेहद महत्वपूर्ण है , एक मुकम्मल विकास यात्रा को रेखांकित कर रहा है यह आलेख , इसमें कोई संदेह नही !Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-39522556575696853922008-01-12T21:52:00.000+05:302008-01-12T21:52:00.000+05:30काफी कुछ नई जानकारी मिली आपके इस लेख में। प्रस्तुत...काफी कुछ नई जानकारी मिली आपके इस लेख में। प्रस्तुति का शुक्रिया।Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.com