tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post5462670698957171753..comments2024-03-27T23:49:38.899+05:30Comments on परिकल्पना: भड़ास निकालने के लिए लोग कितने निर्लज्ज और बेशर्म हो जाते हैं। रवीन्द्र प्रभातhttp://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comBlogger43125tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-3237017753073074172012-09-25T21:42:41.358+05:302012-09-25T21:42:41.358+05:30आदरणीय रवीन्द्र जी अच्छाइयों और सुधार की प्रक्रिया...आदरणीय रवीन्द्र जी अच्छाइयों और सुधार की प्रक्रिया का विरोध तो होता ही आया है अपनी हिंदी विश्व पटल पर छाये आइये कोशिश जारी रखें शास्त्री जी सम्माननीय हैं और अच्छे व्यक्तित्व के धनी हैं ग़लतफ़हमी में हो जाता है कभी कभी ऐसा ...<br />अच्छों को बुरा साबित करना दुनिया की पुरानी आदत है ...आइये गाते मुस्कुराते बढे चलें <br />भ्रमर ५ Surendra shukla" Bhramar"5https://www.blogger.com/profile/11124826694503822672noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-60124635181470449832012-09-25T21:42:03.296+05:302012-09-25T21:42:03.296+05:30आदरणीय रवीन्द्र जी अच्छाइयों और सुधार की प्रक्रिया...आदरणीय रवीन्द्र जी अच्छाइयों और सुधार की प्रक्रिया का विरोध तो होता ही आया है अपनी हिंदी विश्व पटल पर छाये आइये कोशिश जारी रखें शास्त्री जी सम्माननीय हैं और अच्छे व्यक्तित्व के धनी हैं ग़लतफ़हमी में हो जाता है कभी कभी ऐसा ...<br />अच्छों को बुरा साबित करना दुनिया की पुरानी आदत है ...आइये गाते मुस्कुराते बढे चलें <br />भ्रमर ५ Surendra shukla" Bhramar"5https://www.blogger.com/profile/11124826694503822672noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-55316287937658466632012-09-18T13:14:14.797+05:302012-09-18T13:14:14.797+05:30माननीय रविन्द्र जी,
जब भी कोई कुछ अच्छा करता है त...माननीय रविन्द्र जी,<br /><br />जब भी कोई कुछ अच्छा करता है तो कुछ लोग उसके विरोध में और निंदा में जरूर खड़े हो जाते हैं | यह बात हर कार्यक्रम - फिर चाहे निजी आयोजन हो या सामाजिक - लागू होती है | आप किसी की परवाह न करें और अपना यह अच्छा कार्य जारी रखें | इस बार चूँकि परिकल्पना सम्मान कार्यक्रम लखनऊ में था इस लिए उपस्थित न हो सका | पिछले साल जब दिल्ली में कार्यक्रम हुआ था तब मैं वहाँ था | उस बार भी कुछ लोगों ने गलत टिका-टिप्पणी की थी | <br /><br />जब हम सड़क पर चलते हैं तो अपनी गली के कुत्ते भी भौंकते हैं और कई तो झपट कर डराने की कोशिश भी करते हैं, पर क्या हम चलाना बंद कर देते हैं? नहीं न | हम भी घुडक कर चल देते हैं | कुछ देर में वे कुत्ते पीछे रह जाते हैं |<br /><br />आप ने अथक प्रयास से कार्यक्रम का आयोजन किया | मैं आपके प्रयास को देख कर आश्चर्य चकित रह जाता हूँ | इतने बड़े स्तर पर आयोजन करना कोई बच्चों का या हंसी खेल नहीं हैं | आपका हार्दिक साधुवाद और धन्यवाद | <br /><br />मैं तो बस इतना जानता हूँ कि आज ब्लोगिंग कर रहा हूँ तो बस आपके और माननीया रश्मि प्रभा जी के प्रोत्साहन से |<br /><br />आप अपना कार्य जारी रखें |<br /><br />शुभकामनाओं के साथHemant Kumar Dubeyhttps://www.blogger.com/profile/03105494147732905978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-222201596681106692012-09-16T23:01:27.168+05:302012-09-16T23:01:27.168+05:30रविंद्र भाई ,
इस समारोह के बाद जैसी आशंका थी ठीक उ...रविंद्र भाई ,<br />इस समारोह के बाद जैसी आशंका थी ठीक उसी तरह की पोस्टें निकल कर आईं और ये भी बताता चलूं कि भविष्य में हर सकारात्मक प्रयास को इस तरह की पोस्टों और विचारों से सामना करना ही होगा । द्विवेदी जी की बात से मैं भी सहमत हूं लेकिन ये भी जानता हूं कि जब घर फ़ूंक के कोई तमाशा देखता और फ़िर भी तमाशबीनों को ये कहते सुनता है कि मज़ा नहीं आया तो यही दुख क्रोध और फ़िर क्षुब्धता में बदल जाता है । <br /><br />ये शब्दों और विचारों की दुनिया है , हमारा आपका कोई वज़ूद नहीं है इसलिए समय साक्षी रहा है और रहेगा , वो खुद तय कर देगा क्या उचित अनुचित है । मैं हमेशा ही ऐसे प्रयासों के पक्ष में रहा हूं और दृढता से रहा हूं । अच्छा है इस बहाने बहुत सी सूरतें सीरतें खुल कर देखने को मिलती हैं । आप निश्चिंत रहें हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं <br />अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-72188099363911931702012-09-15T12:15:06.969+05:302012-09-15T12:15:06.969+05:30पिछली टिप्पणी मे तारीख की गलत सूचना देने के लिये ख...<b>पिछली टिप्पणी मे तारीख की गलत सूचना देने के लिये खेद है </b><br />----------------------------<br /><i><b> कल 16/09/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट <a href="http://nayi-purani-halchal.blogspot.in" rel="nofollow"> http://nayi-purani-halchal.blogspot.in </a> पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .<br />धन्यवाद! </b></i> <br />Yashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-74794635358951368082012-09-15T10:37:34.156+05:302012-09-15T10:37:34.156+05:30
Rama Dwivedi
21:39 (12 hours ago)
to me
आदरणीय ...<br />Rama Dwivedi<br />21:39 (12 hours ago)<br /><br />to me <br />आदरणीय रवींद्र जी ,<br /> सादर नमन !<br /> आपका आयोजन बहुत सफल रहा इसके लिए आप और रजनीश जी बधाई के हक़दार हैं ...आपने मुझे भी विशेष अतिथि के रूप में मंच पर बिठाया इसके मै दिल से शुक्रिया अदा करती हूँ | <br />...रमा द्विवेदी रवीन्द्र प्रभातhttps://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-44464347490967112852012-09-13T23:21:46.178+05:302012-09-13T23:21:46.178+05:30यह पोस्ट भी तो बौखलाहट को सिद्ध करती है....उसी का ...यह पोस्ट भी तो बौखलाहट को सिद्ध करती है....उसी का प्रभाव है यह वक्तव्य...<br /><br />"मेरे विचार में उम्र का विद्वता से कोई सम्बंध नहीं होता। अगर उम्र ही विद्वता का पैमाना होती, तो आज हिमायल के पहाड़ संसार के सबसे आदरणीय और सम्माननीय होते।"<br /><br />---मूर्खतापूर्ण कथन है..पोस्ट लेखक क्या हिमालय पहाड़ को सबसे उम्र दराज समझता है या सबसे अनादरणीय व असम्माननीय ..<br />--निश्चय ही हिमालय संसार का सबसे आदरणीय व सम्माननीय पहाड़ है और युवा पहाड़ भी है...<br />---एक मज़दूर व विद्वान के सम्बन्ध में उम्र से कोई फर्क नहीं पड़ता.. परन्तु जब दो विद्वानों की बात होती है तो उम्र व अनुभव का विद्वता से सम्बन्ध है...<br />--- कमेन्ट लिखने वालों को भी सोचना चाहिए कि जो आयोजन कर रहा है ( तथाकथित अपनी जेब के पैसे से) तो क्या मूर्ख है जो सर्टीफिकेट पर अपने को छोडकर किसी अन्य के हस्ताक्षर कराएगा...चेरिटी बिगिन्स फ्रॉम होम ...<br /><br />---वैसे कुछ शोध कर लेने से ( सब जानते हैं शोध कैसे होते हैं.??) या पैसे खर्च करके आयोजन कर लेने से कोई विद्वान नहीं होजाता... <br /><br />----फिर भाई लोग सम्मान चाहे कोई भी दे सम्मान तो सम्मान है,उसका सम्मान करना चाहिए.. कुछ दे ही रहा है ..छीन तो नहीं रहा...<br /> shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-37950479931554268752012-09-13T18:05:10.992+05:302012-09-13T18:05:10.992+05:30ये दोनों सचमुच निर्लज्ज हैं । कसं खा चुके हैं की क...ये दोनों सचमुच निर्लज्ज हैं । कसं खा चुके हैं की कभी नहीं सुधरेंगे । आप अपना काम करते जाइए ....इन्हें गंदगी फैलाने दीजिये । धीरे-धीरे ये पूरी तरह गंदे हो जाएँगे । गीतेशhttps://www.blogger.com/profile/14766567920202691433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-37242594004647336022012-09-13T17:38:15.746+05:302012-09-13T17:38:15.746+05:30Krishna Kr. Yadav
17:32 (3 minutes ago)
to me
रव...Krishna Kr. Yadav<br />17:32 (3 minutes ago)<br /><br />to me <br />रवीन्द्र प्रभात जी,<br /><br />पिछले दिनों संपन्न परिकल्पना सम्मान के आयोजन पर कुछेक लोगों द्वारा उठ रही बातों पर क्या कहें.बस<br />बड़े-बुजुर्गों की कही एक बात याद आ रही है-'' पत्थर भी उन्हीं पेड़ों पर फेंके जाते हैं, जिन पर फल लदे होते हैं. ठूंठ पेड़ों पर कोई पत्थर नहीं फेंकता.''..जो बड़ी लकीर नहीं खींच सकते, वे दूसरों की बने लकीर को ही मिटा-मिटा कर छोटा करना चाहते हैं और एक दिन खुद ही मिट जाते हैं..ऐसे लोगों को अनावश्यक तवज्जो देने का कोई मतलब नहीं..आप अपनी राह चलें..फैसला तो वक़्त करेगा !! रवीन्द्र प्रभातhttps://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-17282561317121825402012-09-13T17:28:08.621+05:302012-09-13T17:28:08.621+05:30don't worry.don't worry.Kunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-20059231034690494342012-09-13T13:06:56.328+05:302012-09-13T13:06:56.328+05:30साहब लोगों की पोस्ट्स जिनका आपके ज़िक्र किया है केव...साहब लोगों की पोस्ट्स जिनका आपके ज़िक्र किया है केवल उनके मानसिक दिवालियेपन को दर्शाती हैं। <br /><br />इस आयोजन से हमें बहुत से लोगों का अवसर मिला उसके लिए आप,ज़ाकिर सर एवं सुमन सर धन्यवाद के पात्र हैं। <br /><br />सादर Yashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-17680943815238231052012-09-13T12:57:09.315+05:302012-09-13T12:57:09.315+05:30परिकल्पना सम्मान शुरू से लेकर अंत सराहनीय एवं श्...परिकल्पना सम्मान शुरू से लेकर अंत सराहनीय एवं श्रमसाध्य रहा है ... ऐसे कार्यक्रम का सफलता पूर्वक सम्पन्न होना अपने आप में एक उपलब्धि है ... ऐसी बातों के होने या ना होने से कोई फ़र्क नहीं पड़ता ... यह कार्यक्रम प्रतिवर्ष अपनी क़ामयाबी के चरम पर रहे यही शुभकामनाएं<br /> हैं ... <br />सादर<br /><br />सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-27325902895634635912012-09-13T12:13:04.140+05:302012-09-13T12:13:04.140+05:30परिकल्पना का यह प्रयास शुरू से लेकर अंत तक सराहनी...परिकल्पना का यह प्रयास शुरू से लेकर अंत तक सराहनीय एवं श्रमसाध्य रहा है ... जिसके लिए आप एवं आपकी टीम बधाई की पात्र है ...आभार सहित शुभकामनाएं<br /><br /> सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-3839716606825942612012-09-13T09:36:15.220+05:302012-09-13T09:36:15.220+05:30मेरे विचार से यह सम्मेलन ब्लॉगिंग का महिमा मण्ड...मेरे विचार से यह सम्मेलन ब्लॉगिंग का महिमा मण्डन करने के लिये किया गया था, न कि ब्लॉगरों की अपनी अपनी ढपली अपना अपना राग अलापने के लिये। अत: यदि कुछ आत्म-मुग्ध्ा ब्लॉगर इससे असंतुष्ट दिखाई पडते हैं तो इस अनदेखा और अनसुना कर देना चाहिये और सर्मपण के साथ साफ-सुथरी ब्लॉगिंग के विकास में लगे रहना चाहिये।जीवन और जगत https://www.blogger.com/profile/05033157360221509496noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-1182189550702082352012-09-13T06:23:08.438+05:302012-09-13T06:23:08.438+05:30रवींद्र जी,
किसी भी लीक से ...रवींद्र जी,<br /><br /> किसी भी लीक से हटकर काम करने पर आलोचना और समालोचना जरूर मिलती है . आयोजन इतना आसान नहीं होता है लेकिन जो कमियां होती हें वे हमें भविष्य के लिए एक सबक होती हें. सम्पूर्ण कोई भी नहीं होता है , इसलिए ऐसी प्रतिक्रियाओं के प्रति निस्पृह रहिये.<br />रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-6482697000786328582012-09-13T00:43:20.475+05:302012-09-13T00:43:20.475+05:30भाई रवीन्द्र जी! मुझे उत्तर-प्रदेश की बारातों की य...भाई रवीन्द्र जी! मुझे उत्तर-प्रदेश की बारातों की याद आ रही है। लड़की वाले कितनी भी ख़ातिर कर डालें पर बाराती हैं कि नुक्ता-चीनी किये बिना नहीं रहते। आपने बड़ा आयोजन किया....कुछ त्रुटियों का होना स्वाभाविक है.....पर चिट्ठाकारों को भी चाहिये था कि यह पूरा कार्यक्रम था तो उन्हीं का....स्वयं उन्हें भी आगे आकर कमियों को दूर करने का प्रयास करना चाहिये था। प्रमाणपत्रों में हस्ताक्षर के लिये यदि डॉक्टर ज़ाकिर अली रजनीश के नाम पर किसी को आपत्ति है तो उचित नहीं प्रतीत होता...ZAR की प्रतिभा और सेवाओं ने उन्हें इस योग्य बना दिया है कि वे प्रमाणपत्र पर हस्ताक्षर कर सकें। और अंत में यही कि यदि आपने अपना काम ईमानदारी से किया है तो विरोध और नुक्ता चीनी से व्यथित हुये बिना आगे बढ़ते रहिये .....चरैवेति..चरैवेति...<br /><br /> बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-41717584473344407022012-09-12T23:53:48.956+05:302012-09-12T23:53:48.956+05:30
Anita Kumar
23:36 (15 minutes ago)
to me
Ravind...<br />Anita Kumar<br />23:36 (15 minutes ago)<br /><br />to me <br />Ravindra ji <br />namaskaar<br /><br />aap ke program ke charche khoob padhe...itne badhe lavel par itna achchaa program karne ke liye badhaai....suna hai usmein aap ne sabhi aaye mehmaano ko ek patrika di thi...mujhe is baat ki khabar dene wala toh achaanak is duniya ko hi chod kar chalaa gayaa....kya mein aap se us patrika ki ek copy bhejne ka anurodh kar sakati hun? agar bhijwaa sakein toh badhi kripaa hogi, bhejane ka jo kharch aayegaa woh mein dene ke liye tayyar hun<br />dhanywaad<br /><br />anita रवीन्द्र प्रभातhttps://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-9362529409065312712012-09-12T22:46:56.399+05:302012-09-12T22:46:56.399+05:30अकबर ने बीरबल से कहा -'ऐसा भोज आयोजित करो, सब...अकबर ने बीरबल से कहा -'ऐसा भोज आयोजित करो, सब प्रसन्न हो कर ही जाएं'<br />भोज हुआ. अच्छा रहा. बस खुश थे. पर जाते जाते एक कह ही गया -'अकबर पागल है क्या, यूं ही इतना ख़र्चा कर दिया, उंह...'<br />किस किस को जवाब देंगे. <br />/:-)<br />Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-42518870051075771742012-09-12T22:40:29.028+05:302012-09-12T22:40:29.028+05:30अविनाश जी ने सही कहा की " जब हमाम में झांकने ...अविनाश जी ने सही कहा की " जब हमाम में झांकने का शौक है तो सब नंगे ही नजर आएंगे, इसमें अजीब सी कोई बात नहीं है।"ब्रजेश सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/02137664832747366807noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-51533459811157506412012-09-12T22:38:58.574+05:302012-09-12T22:38:58.574+05:30संभव है ये दोनों अपनी गलतियों से सीख लेंगे। ईश्वर ...संभव है ये दोनों अपनी गलतियों से सीख लेंगे। ईश्वर इन्हें सुबुद्धि दे । अरविन्द शर्माhttps://www.blogger.com/profile/18424577781107642242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-28659312899960168732012-09-12T22:28:53.558+05:302012-09-12T22:28:53.558+05:30जिन्हें कभी भी पूरा सच कहने की हिम्मत नहीं रही, वे...जिन्हें कभी भी पूरा सच कहने की हिम्मत नहीं रही, वे हमेशा आधा सच से ही काम चला लेते हैं । परिकल्पना सम्मान समारोह के बारे में इनहोने जो कुछ लिखा उसमें कोई भी बात बिलकुल भी मनाने योग्य नहीं हैं ....! ऐसे लोगों को आईना दिखाना जरूरी था, आपकी ओर से वक्तव्य आना चाहिए था और आया भी तो राजफ़ाश के साथ । <br />आपका क्या आपने तो यह कार्यक्रम पहली बार किया नहीं और आपको महेंद्र श्रीवास्तव जैसे आधा सच कहने वालों से कभी पाला नहीं पड़ा होगा । खूब पड़ा होगा । पवन तो अभी बच्चा है जी, उसकी गलतियों को आप माफ कर सकते हैं । आप तो अपने धुन के धनी हैं । यह अभियान निर्वाध गति से चलाएं । मेरी शुभकामनायें आपके साथ है । <br />मनोज पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/12404564140663845635noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-70302877429511672602012-09-12T22:05:47.847+05:302012-09-12T22:05:47.847+05:30एक बात और, दूसरों पर कीचड़ उछालने वाले अक्सर यह ब...एक बात और, दूसरों पर कीचड़ उछालने वाले अक्सर यह बात भूल जाते हैं कि उसके छीटें उनके ऊपर भी आ सकते हैं। आशा है ऐसा करने वाले लोग भविष्य में इस बात का ध्यान रखेंगे।Arshia Alihttps://www.blogger.com/profile/14818017885986099482noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-69355205373758426812012-09-12T22:04:16.055+05:302012-09-12T22:04:16.055+05:30सम्मान पत्र पर मेरे साथ जाकिर भाई के भी हस्ताक्षर...<b>सम्मान पत्र पर मेरे साथ जाकिर भाई के भी हस्ताक्षर थे और उनके बारे में इस तरह के विचार इनकी अज्ञानता को दर्शाते हैं। शायद इन्हें नहीं मालूम उन्होंने अभी तक तीन-तीन शोध कार्य किये हैं, उनकी 65 पुस्तकें प्रकाशित हैं, भारत सरकार, उत्तपर प्रदेश सरकार सहित, इंडिया टुडे, सहारा समय, अभिव्यक्ति जैसी संस्था एवं विभिन्न प्रतियोगिताओं में उन्हें पुरूस्कृत कर चुकी हैं और बाल कहानी, विज्ञान कथा के साथ-साथ विज्ञान लेखन एवं विज्ञान संचार के क्षेत्र में उनका नाम मील का पत्थर है। इतनी कम उम्र में उन्होंने जो उपलब्धियां हासिल की हैं, वह आश्चर्यचकित करने वाली हैं। उनके नाम पर उंगली उठाना आपकी अज्ञानता और दिबालियेपन की निशानी है।</b><br /><br />इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती।Arshia Alihttps://www.blogger.com/profile/14818017885986099482noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-38036094048750264452012-09-12T22:01:27.736+05:302012-09-12T22:01:27.736+05:30परिकल्पना सम्मान को श्री रवि रतलामी, पूर्णिमा वर्म...<b>परिकल्पना सम्मान को श्री रवि रतलामी, पूर्णिमा वर्मन जैसी हस्तियों ने स्वीकार कर उसका गौरव बढ़ाया है। इससे यह सम्मान स्वयं सम्मानित हो गया है। ऐसे में इनके द्वारा इस सम्मान पर उंगली उठाना और इसे ब्लैकक डे कहना स्वयं अपने मुंह पर कालिख पोतने के समान है। क्योंकि ऐसा करके ये उपरोक्त हस्तियों के ऊपर भी लांछन लगा रहे हैं, जो निहायत ही निंदनीय है। इसी के साथ जिन लोगों ने इनके सुर में सुर मिलाया है, मेरे विचार में उन लोगों ने भी इन हस्तियों का अपमान किया है। ऐसे लोग न तो ब्लॉगजगत के हितैषी हो सकते हैं और न ही सच्चे् ब्लॉगर।</b><br /><br />सही कहा आपने। लेकिन अक्सर विरोध करने वाला व्यक्ति अपनी सनक में इतना बह जाता है कि वह यह भी नहीं देख पाता कि विरोध के चक्कर में कितना नीचे जा चुका है। यही कारण है कि वह ऐसा करते हुए उन लोगों की भी आलोचना कर बैठता है, स्वयं जिनके पैरों की धूल भी नहीं होता।<br /><br />Arshia Alihttps://www.blogger.com/profile/14818017885986099482noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-20603324841727238272012-09-12T21:40:33.647+05:302012-09-12T21:40:33.647+05:30Harkirat Haqeer
21:38 (0 minutes ago)
to me
आद. ...Harkirat Haqeer<br />21:38 (0 minutes ago)<br /><br />to me <br />आद. प्रभात जी आपकी भेजी पत्रिका मिली आभार .....!!<br /><br />और हाँ अगर आप ईमानदारी से अपना कार्य कर रहे हैं तो ऐसी टिप्पणियों को ध्यान न दें ....:))रवीन्द्र प्रभातhttps://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.com