tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post5769122755101949579..comments2024-03-27T23:49:38.899+05:30Comments on परिकल्पना: मैं समय हूँ तो क्या ?रवीन्द्र प्रभातhttp://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-54700208622746226842011-06-29T20:56:57.448+05:302011-06-29T20:56:57.448+05:30तीनों रचनाएँ बहुत संवेदनशील ... अच्छी प्रस्तुतितीनों रचनाएँ बहुत संवेदनशील ... अच्छी प्रस्तुतिसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-45829007881622132012011-06-29T19:04:58.099+05:302011-06-29T19:04:58.099+05:30एक ही विषय पर तीन कवितायें.. तीनो ही कवितायेँ बेहद...एक ही विषय पर तीन कवितायें.. तीनो ही कवितायेँ बेहद सुन्दर और प्रभावशाली...फिर भी अनु जी की कविता बेहतर... मेमने सा अंत... से जब वे कविता का अंत करती हैं को ह्रदय स्तब्ध सा रह जाता है.. समय की कठोरता का एहसास होता है...अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-40396024631421852652011-06-29T13:49:08.283+05:302011-06-29T13:49:08.283+05:30उम्दा हैं यह उत्सव,अनूठी परिकल्पना है,बधाइयाँ ! आभ...उम्दा हैं यह उत्सव,अनूठी परिकल्पना है,बधाइयाँ ! आभार !प्रगतिशील ब्लॉग लेखक संघhttps://www.blogger.com/profile/18399101354438844595noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-17193984591389237732011-06-29T13:43:43.615+05:302011-06-29T13:43:43.615+05:30क्या बात है, इसको कहते हैं उत्सव मनाना !क्या बात है, इसको कहते हैं उत्सव मनाना !गीतेशhttps://www.blogger.com/profile/14766567920202691433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-67679343160776814542011-06-29T13:41:07.839+05:302011-06-29T13:41:07.839+05:30यह उत्सव अपने आप में गरिमामय है , बधाइयाँ !यह उत्सव अपने आप में गरिमामय है , बधाइयाँ !ब्रजेश सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/02137664832747366807noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-29987217556030153172011-06-29T13:39:51.681+05:302011-06-29T13:39:51.681+05:30अंतरजाल पर अपने आप की यह अनूठी परिकल्पना है , इसे ...अंतरजाल पर अपने आप की यह अनूठी परिकल्पना है , इसे मेरी ढेरों शुभकामना है !<br /><br />।मनोज पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/12404564140663845635noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-51720545123212968192011-06-29T11:29:39.621+05:302011-06-29T11:29:39.621+05:30अहसास बोलते तो हैं मगर..
खामोश क्यूँ हैं ये लब,
ले...अहसास बोलते तो हैं मगर..<br />खामोश क्यूँ हैं ये लब,<br />लेकिन...<br />मैंने सुना,<br />तुमने कहा....<br />में यहीं हूँ तुम्हारे पास,<br />पास नहीं हूँ तो क्या हुआ,<br />तुम रहती हो हर पल मेरे साथ,<br /><br />वाह ...बहुत खूब कहा है इन पंक्तियों में ..बेहतरीन प्रस्तुति ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-85413584626785149722011-06-29T11:19:06.380+05:302011-06-29T11:19:06.380+05:30ये तीनों ही कवितायेँ बहुत अच्छी लगीं.
सादरये तीनों ही कवितायेँ बहुत अच्छी लगीं.<br /><br />सादरYashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.com