tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post6196137965802043619..comments2024-03-29T19:13:20.355+05:30Comments on परिकल्पना: सफर अंधा; मोड़ भी अंधे? BLIND TURNING?रवीन्द्र प्रभातhttp://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-74192362339166760902012-04-28T16:59:56.441+05:302012-04-28T16:59:56.441+05:30वाह...बहुत सुन्दर, सार्थक और सटीक!
आपकी इस उत्कृष्...वाह...बहुत सुन्दर, सार्थक और सटीक!<br />आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow">चर्चा मंच</a> पर भी होगी!<br />सूचनार्थ!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-77623406991759072202012-04-28T16:45:37.958+05:302012-04-28T16:45:37.958+05:30सार्थकता लिए हुए सटीक लेखन ... प्रस्तुति के लिए आ...सार्थकता लिए हुए सटीक लेखन ... प्रस्तुति के लिए आपका आभार ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-23815545639371741512012-04-28T15:13:16.754+05:302012-04-28T15:13:16.754+05:30अश्रानता ही सारी समस्या की मूल है और वह है अशिक्षा...अश्रानता ही सारी समस्या की मूल है और वह है अशिक्षा से तथा शिक्षा के लिए वास्तविक शिक्षक चाहिए होगे न कि सरकारी शिद्वाा व्यवस्था और उस जैसे शिक्षक...यह बीड़ा हमी आपको उठाना होगाचन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’https://www.blogger.com/profile/01920903528978970291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-54443768942294207672012-04-28T13:39:25.317+05:302012-04-28T13:39:25.317+05:30सुखद-सार्थक और महत्वपूर्ण चर्चा !सुखद-सार्थक और महत्वपूर्ण चर्चा !गीतेशhttps://www.blogger.com/profile/14766567920202691433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-42729780823654004712012-04-28T13:26:15.331+05:302012-04-28T13:26:15.331+05:30खेल तो खेल ही होता है और खेल मे जीत भी होती है और ...खेल तो खेल ही होता है और खेल मे जीत भी होती है और हार भी, लेकिन वह खेल जिसमें कुटिलता सन्निहित हो उसे त्याग कर पलायन करने के वजाए जरूरी है कि हम दृढ़ता के साथ उसका प्रतिरोध करें, जबतक प्रतिरोध नहीं होगा यह समाज ऐसे खेल को पराश्रय देता रहेगा ।ब्रजेश सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/02137664832747366807noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-67465105933184157572012-04-28T12:58:15.727+05:302012-04-28T12:58:15.727+05:30खींच-तानकर कद को इतना लंबा नहीं किया करते, लंबी पर...खींच-तानकर कद को इतना लंबा नहीं किया करते, लंबी परछाई का ढलते सूरज से इक रिश्ता है !....mark raihttps://www.blogger.com/profile/11466538793942348029noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-48594529303598780072012-04-28T12:56:31.539+05:302012-04-28T12:56:31.539+05:30एक विचारणीय सार्थक आलेखएक विचारणीय सार्थक आलेखvandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-8455439277068745642012-04-28T12:48:50.470+05:302012-04-28T12:48:50.470+05:30खेल कोई भी हो, शिकस्त के साथ सबक भी हाथ आते हैं . ...खेल कोई भी हो, शिकस्त के साथ सबक भी हाथ आते हैं . पलायनवादी नीति भी वक़्त की माँग होती है . यदि प्रभु आँख पर पट्टी न बांधें तो न हम औंधे मुंह गिरेंगे न सीखेंगे , कई बार तो उम्र के आखिरी पड़ाव तक हम गिरते हैं , जानते हुए कि सामनेवाला बेईमानी कर रहा है . भले इस गिरने से हम अपाहिज हो जाएँ , पर आगत की आँखें खुल जाती हैं .रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-34611779254528373082012-04-28T10:55:12.316+05:302012-04-28T10:55:12.316+05:30धाराप्रवाह लेखन, बहुत कुछ समेटे हुए| आज एक अलग ही ...धाराप्रवाह लेखन, बहुत कुछ समेटे हुए| आज एक अलग ही अनुभव हुआ पढ़ते हुए|संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-63128823944818263832012-04-28T10:23:18.829+05:302012-04-28T10:23:18.829+05:30"वो अफ़साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन, उ..."वो अफ़साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन, उसे एक ख़ूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा ।"<br /><br />यही समस्या भी है और यही समाधान भी, सोचिए बार-बार सोचिए समाधान अवश्य निकलेगा !अरविन्द शर्माhttps://www.blogger.com/profile/18424577781107642242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-73642003946044681272012-04-28T10:16:06.583+05:302012-04-28T10:16:06.583+05:30मार्कन्डेय जी,
यह सही है हम अपना धैर्य गँवा कर,`अ...मार्कन्डेय जी, <br />यह सही है हम अपना धैर्य गँवा कर,`अंधा भैंसा` के इस व्यर्थ खेल में, कुछ पहुँचे हुए, अभ्यस्त चतुर खिलाड़ी के हाथों बार बार शिकस्त खा कर, निरंतर दाँव लेते रहते हैं..!! लेकिन इसकी गहराई मे जब आप जाएँगे तो पाएंगे कि इस समाज मे जो जिस उत्तरदायित्व को निभा रहा है कमोवेश सभी इस अंधा भैंसा के खेल से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़ा है । एक बड़ी समस्या यह है कि प्रशासनिक स्तर पर जन-कलयांकारी योजनाएँ लागू करने मे बहुत भ्रष्टाचार होता है, जिसकी वजह से पूरे समाज मेन अकर्मण्यता की स्थिति है । <br />जब तक हर कोई अपने-अपने भीतर की यात्रा नहीं करेगा इस अंधा भैंसा के खेल से मुक्त नहीं हो सकेगा ।मनोज पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/12404564140663845635noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-4146300311334604082012-04-28T09:53:38.194+05:302012-04-28T09:53:38.194+05:30प्रारब्ध को दोष दिये बगैर समस्या का नहीं समाधान का...प्रारब्ध को दोष दिये बगैर समस्या का नहीं समाधान का हिस्सा बनाना होगा हमें ।“अंधा भैंसा” के इस व्यर्थ खेल का परित्याग करना होगा। इस खेल के अभ्यस्त-चतुर खिलाड़ियों के द्वारा फैलाये जा रहे कुप्रचारों को तथ्यों और तर्कों से गलत साबित करना होगा । सकारात्मक तरीके से कवियों-लेखको और विचारकों के लेखन को सामने लाना होगा । इसके साथ ही धर्म, राजनीति और सांप्रदायिकता के दायरे को अंधविश्वास के घटाटोप से बाहर लाने और उसके वैज्ञानिक भौतिकवादी नज़रिये पर चर्चा करनी होगी। पैसा-पावर के बल पर समाज मे नफ़रतों का माहौल बनाने की सोच पैदा करने वाले चतुर खिलाड़ियों की पोल खोलते हुये उनके नज़रिये पर बहस चलाने की भी हमारी कोशिश होनी चाहिए ।<br /> <br />आपने विलकुल सही सवाल उठाया है कि हमारे साथ ऐसी धोखाधारी करने वाले इन्सानों को पराजित कर हम विजय कैसे प्राप्त कर सकते हैं ? इसका समाधान भी आपने अत्यंत सटीक ढंग से दिया है कि हमारे भीतर छुपी हुई अज्ञात चेतना को जाग्रत करके, संसार के हर एक खेल में, उन धूर्त खिलाड़ी की कुटिलता का, सटीक पूर्वानुमान करके, ऐसे कुछ पहुँचे हुए, अभ्यस्त, चतुर खिलाड़ी को हम धोबीपछाड़ दे सकते हैं..!!रवीन्द्र प्रभातhttps://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-21110592210623986252012-04-28T06:22:30.152+05:302012-04-28T06:22:30.152+05:30सही में, पलायन की अपनी महत्ता हैसही में, पलायन की अपनी महत्ता हैKajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.com