tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post6551372079180334629..comments2024-03-27T23:49:38.899+05:30Comments on परिकल्पना: फिर मत कहना खबर नहीं हुईरवीन्द्र प्रभातhttp://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comBlogger45125tag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-6528006284980282732011-06-06T22:36:49.725+05:302011-06-06T22:36:49.725+05:30ज्येष्ठ रविन्द्र प्रभात जी ,
शुभ सन्ध्या।
आप बड़े ...ज्येष्ठ रविन्द्र प्रभात जी ,<br />शुभ सन्ध्या।<br />आप बड़े पवित्र व आवश्यक कार्य को मूर्तरूप देने जा रहे है, शुभकामनाएं।<br />छोटे मूंह बड़ी बात किन्तु जब सरिता बहती है तो राह में आने वाले रोड़े-पत्थर की परवाह करे बिना ही निज वेग से बहती है। आप भी नकारात्मक टिप्पणियों पर ध्यान दिए बिना ही आयोजन की ओर बहते जाए यही ब्लॉग के लिए हितकारी है। और 2 कविता लिखी है यदि पहले वाली से सही लगे तो कृपया बदल देना।UmeshPVatshttps://www.blogger.com/profile/11689741463701588769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-16652988129956487382011-06-05T11:11:36.321+05:302011-06-05T11:11:36.321+05:30जो हमें प्यार करते हैं, वे हर जगह हमारा नाम लेते ह...जो हमें प्यार करते हैं, वे हर जगह हमारा नाम लेते हैं। यहां भी ले रहे हैं लेकिन आजकल हम इन चक्करों में पड़ना नहीं चाहते हैं क्योंकि हम ‘हूरों की दुनिया‘ से ताज़ा ताज़ा लौटे हैं और हमने वहां ‘ओम शांति‘ का पाठ भी किया था, ध्यान भी किया था और अपने स्वागत गान में भी यही सुना था।<br />ऐसे शांतिकाल में हम तो बस यह सलाह देना चाहेंगे कि<br /><a href="http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/06/25000-houries.html" rel="nofollow">‘अपने मन को सु-मन बनाएं हिंदी ब्लॉगर्स‘।</a><br /><br />...और यह आसान काम नहीं है लिहाज़ा आदमी सम्मान भी फ़ास्ट फ़ूड की तरह पाना चाहता है चाहे उसे पाने के चक्कर में ज़िल्लत के गंदे तालाब को ही क्यों न पार करना पड़े ?DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-5136835246165438702011-06-05T00:22:12.061+05:302011-06-05T00:22:12.061+05:30बहुत ही दुखद है की ब्लोगरों को एक जगह जमा करना और ...बहुत ही दुखद है की ब्लोगरों को एक जगह जमा करना और उनके किसी सार्थक प्रयास के लिए उनको अपने स्तर पर खर्च कर सम्मानित करने के बाद भी लोग इसमें ब्लॉग जगत का फायदा नहीं देखते हैं तो क्या फायदा किसी के प्रयास को हमेशा हतोत्साहित करने में ही है क्या....? मासूम साहब मैं आपको एक अच्छी सोच का और सुलझा हुआ ब्लोगर मानता हूँ ...और सुलझे हुए लोग किसी भी छोटे प्रयास को प्रोत्साहित करने का प्रयास करते हैं और अगर उस प्रयास को और बेहतर बनाया जा सकता है तो उसके लिए तन,मन व धन से सहयोग करते हैं....आपसे मुझे तो कम से कम यही उम्मीद है...यकीन मानिये रविन्द जी एक अच्छे और सुलझे हुए कुछ अच्छा करने के प्रयास में बर्बाद हुए इंसान हैं और आगे भी बर्बादी की राह पर चल रहें हैं...और ऐसे व्यक्तियों की वजह से ही ये देश व समाज जिन्दा है...मेरे ख्याल में आप एक बार विस्तार से रविन्द्र जी से फोन पर वैचारिक मंत्रणा कर लें...क्योकि आप दोनों में मतभेद से तो ब्लॉग जगत का नुकसान ही होगा...honesty project democracyhttps://www.blogger.com/profile/02935419766380607042noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-29803999929608454122011-06-04T13:20:14.219+05:302011-06-04T13:20:14.219+05:30रविन्द्र जी,
मैंने अभी यहाँ पर हो रही चर्चा पढ़ी. ...रविन्द्र जी,<br />मैंने अभी यहाँ पर हो रही चर्चा पढ़ी. मैं एक बात कहूँ,आपने अपने हर कमेन्ट में मासूम साहब को मासूम साहब कह कर ही संबोधित किया है जो अपने आप में ये दर्शाता है की आप मासूम साहब का दिल से सम्मान करते है. रही विचारों में भिन्नता की बात तो विचारों में कभी कभी भिन्नता तो हो ही जाती है और ये भी उन दोनों आदमी की अपनी मौलिकता की पहचान होती है,इसमें भी कुछ बुरी बात नहीं.मैं समझ सकता हूँ की मासूम जी के मन में जिज्ञासावश उठ रहे एक सवाल का उन्होंने आपसे जवाब चाहा.आपका उनके प्रति सम्मान ये बताता है की आप जवाब भी शालीनता से ही देना चाह रहे हैं मगर बीच में कुछ आपत्तिजनक अन्य टिप्पणियों ने माहौल ही बदल दिया. भाई मेरी ये गुज़ारिश है की अनावश्यक टिप्पणियों से बचना चाहिए और अगर किसी कारणवश बचना सम्भव न हो तो उन टिप्पणियों पर counter comment तो न दिया जाये और न किसी को देने दिया जाये.तभी एक healthy discussion सम्भव हो पता है.आप और मासूम भाई दोनों ब्लॉग जगत के लिए बहुत कुछ कर रहे हैं,मुझे तो आप लोगों पर बड़ा गर्व होता है. मेरा आशय समझ गए होंगे और इसे स्वस्थ चर्चा समझ कर दोनों लोग बात को यहीं विराम देंगे इतना भरोसा तो आप दोनों पर मैं कर सकता हूँ.<br />आप दोनों का सदा अपना,<br />कुँवर कुसुमेशKunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-89298576405778334742011-06-04T13:14:27.653+05:302011-06-04T13:14:27.653+05:30टिप्पणियों की स्वतन्त्रता का अर्थ है सौहार्दपूर्ण ...टिप्पणियों की स्वतन्त्रता का अर्थ है सौहार्दपूर्ण वातावरण के साथ भावनाओं के मार्गदर्शन में मर्यादित ढंग से अपनी बात रखना न की आदतों की विवशता में, किन्तु यहाँ टिपण्णी-दर-टिपण्णी उग्रता बढ़ती जा रही है इसलिए अब मॉडरेशन लगाया जा रहा है !रवीन्द्र प्रभातhttps://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-20858637859855728422011-06-04T12:46:54.679+05:302011-06-04T12:46:54.679+05:30मासूम साहब, आपकी तल्ख़ बयानी अभी भी जारी है, यह अ...मासूम साहब, आपकी तल्ख़ बयानी अभी भी जारी है, यह अमन के किस रूप को रेखांकित करता है कृपया बताएं ! खैर छोडिये आप उम्र में मुझसे बड़े हैं यदि मेरे किसी कृत्य से आपकी भावनाएं आहत हुई हो तो मैं आपसे क्षमा प्रार्थी हूँ !रवीन्द्र प्रभातhttps://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-47433147440620589532011-06-04T12:31:50.830+05:302011-06-04T12:31:50.830+05:30यहाँ जो कुछ हो रहा है वह हिंदी ब्लागिंग के लिए शुभ...यहाँ जो कुछ हो रहा है वह हिंदी ब्लागिंग के लिए शुभ संकेत नही. रवीन्द्र जी से यदि किसी ने एक सवाल पूछा तो वह यह बता सकते थे कि हिंदी ब्लागजगत के प्रति लोगो का रुझान बढेगा या कुछ और भी किन्तु इतने भोले भाव से कहे कि मै समझा नही मेरी समझ में नही आया . रवीन्द्र जी निःसंदेह आप का अनुभव ज्यादा है और इसका प्रमाण आपको देने की जरूरत नही किन्तु जिस प्रकार की भाषा शैली का प्रयोग किया जा रहा है उससे यह लगता है कि कही कुछ रिक्तता रह गयी है.<br />मनोज पाण्डेय के वचनों से उनके छिछले स्तर का पता चलता है. रवीन्द्र जी आप वर्तनी की शुद्धता की बात ना करे तो आप जैसे ब्लागरों के लिए अच्छा हो यह आप भी जानते है कि कम्प्युटर के कारण भी कभी कभी वर्तनी दोष आ जाता है फिर आप ने पाण्डेय के वर्तनी दोष को क्यों नही देखा.<br />ये ब्रजेश जी जो अनाप शनाप बके जा रहे है रवीन्द्र जी रोकिये इन्हें. अनवर जमाल जैसे अक्ल के अंधों के साथ मासूम जी कि तुलना ना करें. मनोज की दो तिहाई से ज्यादा पोस्ट रवीन्द्र जी के नाम गढ़ी गयी है फिर भी रवीन्द्र जी मासूम जी को गुट्बाज बता रहे है.<br />भाई रवीन्द्र जी आप निःसंदेह अच्छा कार्य कर रहे है किन्तु आपकी जरा सी भूल सारे मामले पर पानी ही नही पेट्रोल डाल देगी. और उसमे आग लगाने का काम पाण्डेय जैसे लोग तो चट से करेगे.<br />चूंकि जौनपुर ब्लॉगर से मै जुड़ा हूँ और कानपुर ब्लॉगर असोसिएसन का संस्थापक हूँ अतः इस मसले पर मेरा बोलना लाजिमी था.<br /> अगर मात्र चिल्लाने से कोई बड़ा और अनुभवी होता है तो अनवर जमाल कब का आपसे भी बड़ा हो गया होत. बड़ा बनने के लिए बड़प्पन के गुण विकसित करने पड़ते है.<br />उम्मीद है यहाँ पर उपस्थित सभी सम्मानित लोग मेरी बात को समझेगे<br />धन्यवादPAWAN VIJAYhttps://www.blogger.com/profile/14648578581549077487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-35865801312497681672011-06-04T12:10:20.506+05:302011-06-04T12:10:20.506+05:30शाहनवाज़ भाई,
लोकतंत्र में हर किसी के लिए अभिव्यक्...शाहनवाज़ भाई,<br />लोकतंत्र में हर किसी के लिए अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता है, चाहे वह मासूम साहब हो या मनोज पाण्डेय, मनोज पाण्डेय मुझे सम्मान देता है इसमें कोई संदेह नहीं,किन्तु उन्हें भी मैं वहीँ तक समझा सकता हूँ जहाँ तक मेरी सीमाएं होंगी....वेहतर यही है की हम एक-दूसरे को न उकसायें, जहां तक संभव हो प्यार से बातें करें !<br />वेहतर यही होगा की हर कोई स्वयं पर नियंत्रण रखे,अनुभव बड़ी चीज होती है समय के साथ जीना सिखा देती है !<br /><br />जाकिर भाई,<br />जहां तक टिप्पणियाँ डिलीट करने का प्रश्न है, तो कितनी टिप्पणियाँ डिलीट करूँ ....मनोज पाण्डेय जी की टिप्पणियों पर मासूम जी ने भी तो उनके पुराने जख्म को कुरेदने का कार्य किया है, ऐसे में मासूम जी की भी कुछ टिप्पणियाँ डिलीट करनी पड़ेगी ...वेहतर तो यह होगा कि अमन के माहौल को कायम रखा जाए और ऐसी फिजूल टिप्पणियों से बचा जाए !रवीन्द्र प्रभातhttps://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-7464510181986492522011-06-04T11:45:39.208+05:302011-06-04T11:45:39.208+05:30मासूम जी, मैंने जवाब इसलिए भी दिया था कि इस आयोजन ...मासूम जी, मैंने जवाब इसलिए भी दिया था कि इस आयोजन में मेरा नाम भी जुडा हुआ है।<br /><br /><br />रवीन्द्र जी, आपसे भी आग्रह है कि कृपया अपशब्दों का प्रयोग करने वाली टिप्पणियों को डिलीट कर दिया करें, उनसे अनावश्यक माहौल खराब होता है। हां, सवाल जवाब का सिलसिला तो चलता ही रहना चाहिए, इससे शंकाओं का समाधान होता है और मन के पूर्वाग्रह भी दूर हो सकते है।Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-79821824319231103262011-06-04T11:45:29.205+05:302011-06-04T11:45:29.205+05:30मासूम जी, मैंने जवाब इसलिए भी दिया था कि इस आयोजन ...मासूम जी, मैंने जवाब इसलिए भी दिया था कि इस आयोजन में मेरा नाम भी जुडा हुआ है।<br /><br /><br />रवीन्द्र जी, आपसे भी आग्रह है कि कृपया अपशब्दों का प्रयोग करने वाली टिप्पणियों को डिलीट कर दिया करें, उनसे अनावश्यक माहौल खराब होता है। हां, सवाल जवाब का सिलसिला तो चलता ही रहना चाहिए, इससे शंकाओं का समाधान होता है और मन के पूर्वाग्रह भी दूर हो सकते है।Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-404385362075006282011-06-04T11:33:58.106+05:302011-06-04T11:33:58.106+05:30बहुत ही बेहतरीन प्रयास है आपका रविन्द्र जी... लेकि...बहुत ही बेहतरीन प्रयास है आपका रविन्द्र जी... लेकिन इस पोस्ट पर कुछ टिप्पणी बहुत ही बेहूदा हैं...<br /><br />ब्लॉग जगत को मैं हमेशा मीडिया से ज्यादा ताकतवर मानता हूँ, और इसकी वजह यह कि यहाँ हर को अपनी बात कहने का हक है... लेकिन अपनी बात का मतलब किसी को नीचा दिखाना अपशब्द कहना कभी भी नहीं होना चाहिए... <br /><br />अगर मासूम भाई ने कुछ सवाल किये थे तो इसका मतलब यह कतई नहीं है कि टिप्पणियों के माध्यम से ओछी बातें की जाएँ... और ऐसी टिप्पणियों को स्थान देना इस मंच की गरिमा को निम्नस्तर पर ले जाना है... <br /><br />बल्कि सही तरीका यही है कि उनके सवालों का जवाब दिया जाए... जो कि आपने पिछली टिप्पणी में देने की कोशिश की है.Shah Nawazhttps://www.blogger.com/profile/01132035956789850464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-12110883137383817432011-06-04T11:33:30.675+05:302011-06-04T11:33:30.675+05:30रविन्द्र जी मेरा सवाल छोटा सा था कि "इन सब मै...रविन्द्र जी मेरा सवाल छोटा सा था कि "इन सब मैं ब्लॉगर या ब्लॉगजगत का क्या फाएदा है? " लेकिन जवाब मैं आप ने फ़ौज भेज कर दी और जवाब जब आप ने दिया तो बर्तनी कि ग़लतियों पे अधिक और सवाल के जवाब के कम ध्यान दिया.मेरे सवाल मैं दुराग्रह देखना आप कि अपनी सोंच है .ऐसा क्यों है यह आप ही जानें. <br /><br />आपका जवाब है कि ""सकारात्मक ढंग से हिंदी के माध्यम से एक नए और खुश्ह्हल सह अस्तित्व की परिकल्पना के लिए " यह काम करते हैं. ज़रा अपने भी तर्जनी को देख लें और जवाब भी. <br /><br /><br />वैसे यही जवाब पहले दे देते,क्या आवश्यकता थी गुगों को भेजने कि? बुरा ना मानिये गा आप का दूसरों से जवाब दिलवाना आप कि नीयत खुद बता गया.<br />अधिक अच्छा होता कि आप गुटबाजी से दूर ,अच्छा लिखने वालों को बढ़ावा देते. और सामाजिक सरोकारों से जुड़ के कुछ समाज के और ब्लॉगजगत के भले के लिए काम करते .<br /><br /><br />वैसे आप का ब्लॉगजगत मैं कितना अनुभव है ज़रा बताएंगे? मेरा अनुभव ज़रा अपने ही साथियों से और ना सही संपादको से पूछ लें. अधिक मुझे कुछ नहीं कहना है ,मुझे आप का जवाब मिल गया जो मैं चाहता था. बाकी आप क्या करते हैं क्यों करते हैं , इस से मुझे कोई सरोकार नहीं. बस निवेदन है कि गन्दी गुटबाजी से दूरी बना के यह काम करें और यदि कोई आप से सहमत ना भी हो तो जवाब शांति से देता सीखें ना कि दूसरों से किसी ब्लॉगर को बेईज्ज़त करवाने कि कोशिश करें.<br /><br />मैं यकीनन अमन का पैग़ाम ही देता हूँ और हर उस बात के खिलाफ आवाज़ उठाता हूँ जिस से समाज मैं या ब्लॉगजगत मैं अमन और शांति भंग हो सकती है. मनोज पाण्डेय जैसे साथियों से सवाल पूछने वालों कि बेईज्ज़ती करवा के आप क्या ब्लॉगजगत का भला करना चाह रहे हैं यह भी एक सवाल पैदा हो गया है. क्यूँ कि यह तो सभी जानते हैं मनोज पाण्डेय आप कि ही सुनते हैं.S.M.Masoomhttps://www.blogger.com/profile/00229817373609457341noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-7429635593818794342011-06-04T11:11:47.697+05:302011-06-04T11:11:47.697+05:30मासूम साहब, सबसे पहले तो आप अपनी बर्तनी सुधारिए . ...मासूम साहब, सबसे पहले तो आप अपनी बर्तनी सुधारिए . आप क्या पूछना चाहते हैं और क्या पूछ रहे हैं हैं यह पूरी तरह स्पष्ट नहीं है . <br />साथ ही आपके प्रश्न पूछने में आग्रह कम दुराग्रह ज्यादा है, जो नि:संदेह किसी के भी भीतर उत्तेजना पैदा कर सकता है ! <br />आपने पूछा है की आप यह सब क्यों करते हैं ?<br />इसका सीधा सा जबाब है "सकारात्मक ढंग से हिंदी के माध्यम से एक नए और खुश्ह्हल सह अस्तित्व की परिकल्पना के लिए "<br />अब आगे बढ़ते हैं -<br />आपने फायदे की बात की है तो बता दूं विगत ढाई दशकों से मैं साहित्य में फ़ायदा को ही ढूंढ रहा हूँ, पर मिला नहीं ....यदि आपको यह फ़ायदा नामक प्राणी कहीं किसी मोड़ पर मिल जाए तो सूचना दीजिएगा, मैं भी मिलना चाहूंगा !<br />रही गुटबाजी की बात तो यह जगजाहिर है की आपके ब्लॉग जगत में आने के बाद गुटबाजी कुछ ज्यादा बढ़ी है, मैं तो किसी असोसिएशन से ताल्लुक भी नहीं रखता और आप लगभग आधा दर्जन असोसिएशन में किसी न किसी पद पर विराजमान हैं !<br />सच्ची बातें हमेशा कड़वी लगती है, शायद मेरी भी बातें आपको कड़वी लगे किन्तु यहाँ मैं आपको बताना उचित समझता हूँ की आपकी उम्र ज्यादा अवश्य है मुझसे, किन्तु साहित्य या ब्लॉगजगत में अनुभव कम है.. धीरे-धीरे सब समझ जायेंगे और जब आप समझ जायेंगे तो मुझे भी समझा दीजिएगा बड़ी मेहरवानी होगी !<br />वैसे जिन लोगों ने यहाँ सुझाव दिए हैं उन्हें भी आपको अमल में लाने की जरूरत है, क्योंकि सिखने की कोई उम्र नहीं होती . आप अमन का पैगाम देने के लिए आये हैं ब्लॉगजगत में, देते रहिये अच्छा और प्रसंशनीय कार्य है, आपको शुभकामनाएं !रवीन्द्र प्रभातhttps://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-59754523779072225012011-06-04T11:08:31.550+05:302011-06-04T11:08:31.550+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.रवीन्द्र प्रभातhttps://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-6995905646298589932011-06-04T10:56:03.917+05:302011-06-04T10:56:03.917+05:30मनोज पाण्डेय @जी आपकी पहचान उसी समय हो गयी थी जब आ...मनोज पाण्डेय @जी आपकी पहचान उसी समय हो गयी थी जब आपने हमारी वाणी के खिलाफ झूटी पोस्ट लगाई थी और फिर कैसे और क्यों निकाल दी यह भी बताने कि आवश्यकता नहीं है. ब्लॉगजगत ने यह नज़ारा देखा है. इसीलिये आप ऐसे स्तर से गिरी बातें क्यों कह रहे हैं यह भी सब समझ रहे हैं. लेकिन मैं बुरा नहीं मान ना भाई क्यों कि ब्लॉगजगत सब को पहचानता है.S.M.Masoomhttps://www.blogger.com/profile/00229817373609457341noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-5806905345936411492011-06-04T10:56:03.141+05:302011-06-04T10:56:03.141+05:30मनोज पाण्डेय @जी आपकी पहचान उसी समय हो गयी थी जब आ...मनोज पाण्डेय @जी आपकी पहचान उसी समय हो गयी थी जब आपने हमारी वाणी के खिलाफ झूटी पोस्ट लगाई थी और फिर कैसे और क्यों निकाल दी यह भी बताने कि आवश्यकता नहीं है. ब्लॉगजगत ने यह नज़ारा देखा है. इसीलिये आप ऐसे स्तर से गिरी बातें क्यों कह रहे हैं यह भी सब समझ रहे हैं. लेकिन मैं बुरा नहीं मान ना भाई क्यों कि ब्लॉगजगत सब को पहचानता है.S.M.Masoomhttps://www.blogger.com/profile/00229817373609457341noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-84325282482757113532011-06-04T10:33:59.396+05:302011-06-04T10:33:59.396+05:30जनाब मनोज पाण्डेय @ ब्रजेश सिन्हा@ जी मैं हकीकत...जनाब मनोज पाण्डेय @ ब्रजेश सिन्हा@ जी मैं हकीकत बयान करता हूँ और किसी गुटबाजी में यकीन नहीं रखता . और मेरी जंग ही इस ब्लॉगजगत कि गन्दी गुटबाजी से है जिसने ब्लॉगजगत का स्तर गिरा दिया है. लोग अच्छा लिखने और पढने मैं कम और अस्थाई सम्मान मैं अधिक दिलचस्पी रखने लगे हैं. जब सवाल रविद्र जी से किया जाए और जवाब दूसरे दें वो भी अप्पति जनक शब्दों मैं , तो यह मान लेना चाहिए कि यह भी एक तरह कि गुटबाजी हो रही है. यदि ऐसे उत्सवों से ब्लॉगजगत का कोई फैदा होता तो रविद्र जी सवाल का जवाब शांति से देते ना कि दूसरों से बेईज़ती करवाने कि कोशिश करते. <br /><br />जाकिर @ भाई रविद्र प्रफात जी ने मेरा सवाल पढ़ा और जवाब भी देता जानते हैं फिर वो कौन सा काम क्यूँ करते हैं वो नहीं बता रहे बल्कि दूसरे समझा रहे हैं. बात कुछ समझ मैं नहीं आयी?<br />मेरा सवाल छोटा सा था और वो भी रविन्द्र जी से और आशा कि जाती है कि जवाब उन्ही से मिलेगा.S.M.Masoomhttps://www.blogger.com/profile/00229817373609457341noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-40340094623241461932011-06-04T10:13:20.491+05:302011-06-04T10:13:20.491+05:30bahut badhiyabahut badhiyaसु-मन (Suman Kapoor)https://www.blogger.com/profile/15596735267934374745noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-10327110650008167202011-06-04T10:10:27.636+05:302011-06-04T10:10:27.636+05:30सही कह रहे हो ब्रजेश,
ब्लॉग जगत में मासूम जी जैसे ...सही कह रहे हो ब्रजेश,<br />ब्लॉग जगत में मासूम जी जैसे लोगों की कमी नहीं जो गुड खाते हैं गुलगुले से परहेज रखते हैं !मनोज पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/12404564140663845635noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-17720242035994059742011-06-04T10:10:01.524+05:302011-06-04T10:10:01.524+05:30मासूम जी, हालांकि आपका सवाल मुझसे तो नहीं था, पर फ...मासूम जी, हालांकि आपका सवाल मुझसे तो नहीं था, पर फिर भी मुझे लगा कि शायद मैं भी यहां पर कुछ स्पष्ट कर सकता हूं।<br /><br /><b>कोई भी कलाकार कला के क्षेत्र में क्यों आता है? जाहिर सी बात है कि अपनी कला को दूसरों तक पहुंचाने के लिए। अर्थात स्वयं को आम आदमी से कुछ खास साबित करने के लिए। हालांकि कुछ लोग ऐसा स्वीकारने से कतराते हैं, पर सच यही है। और यही बात ब्लॉगिंग पर भी लागू होती है। आप भी इसीलिए ब्लॉगर बने, मैं भी और दूसरे लोग भी। अब इसमें से बहुत से लोग ऐसे हैं, जो सिर्फ 'अपनी ब्लॉगिंग' को बढाने के बारे में सोचते हैं! उसके लिए तरह तरह की तिकड़में भी करते हैं, तरह-तरह से लोगों को अपने साथ जोडते है, उनके बारे में लिखते हैं, उनसे लिखवाकर अपने ब्लॉग पर पोस्ट लगाते हैं, और तो और दूसरों की आलोचना करने से भी नहीं चूकते हैं। लेकिन इसके विपरीत भी लोग होते हैं, जो सम्पूर्ण कला के विकास के लिए कार्य करते हैं। ऐसा करने के पीछे मकसद एक ही होता है कला को बढावा देना। लेकिन इसी बहाने स्वयं के मान-सम्मान में वृद्धि का विचार तो रहता ही है मन में। यह एक व्यापक मानवीय प्रवृत्ति है, जो पूरे समाज में पाई जाती है। जैसे जोरशोर से धार्मिक गतिविधियों का आयोजन करना, दान देना, लोगों की मदद करना, भूखों को खाना खिलाना आदि आदि। और मेरी समझ से यदि इस तरह के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए कोई गलत तरीका न इस्तेमाल किया जा रहा हो और उससे किसी का कोई अहित न हो रहा हो, तो इसमें कोई बुराई नहीं है। मेरे विचार से रवीन्द्र प्रभात जी भी इसीलिए ब्लॉगोत्सव का आयोजन करते हैं। चूंकि इससे समाज में ब्लॉगिंग के प्रति लोगों में एक सकारात्मक संदेश जा रहा है, लोग ब्लॉगिंग के बारे में जानने के लिए उत्सुक हो रहे हैं, नये-नये लोग ब्लॉगिंग से जुड रहे हैं, इसलिए इस तरह की चीजों को बढावा दिया जाना चाहिए।</b><br />---------<br /><b><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">कौमार्य के प्रमाण पत्र की ज़रूरत?</a></b><br /><a href="http://za.samwaad.com/" rel="nofollow">ब्लॉग समीक्षा का 17वाँ एपीसोड।</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-49889393108893452832011-06-04T10:09:53.474+05:302011-06-04T10:09:53.474+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-67227892386684233522011-06-04T10:06:25.025+05:302011-06-04T10:06:25.025+05:30इसका जबाब मेरे पास है मनोज भाई, दरअसल बात यह है कि...इसका जबाब मेरे पास है मनोज भाई, दरअसल बात यह है कि पप्पू को फेल होने का खतरा सता रहा है इसलिए सबाल-जबाब में उलझे हैं जनाब ! लग रहा है मासूम साहब भी अब अनवर जमाल के पद चिन्हों पर चलना शुरू कर दिए हैं सस्ती लोकप्रियता के लिए . खुदा बचाए ब्लॉग जगत को ऐसे लोगों से !ब्रजेश सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/02137664832747366807noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-10135680611175883562011-06-04T09:58:16.695+05:302011-06-04T09:58:16.695+05:30मुझे तो लग रहा है कि मानसिक दिबालियेपन से ग्रसित ह...मुझे तो लग रहा है कि मानसिक दिबालियेपन से ग्रसित हैं माशूम साहब, वैसे भी रिटायरमेंट के बाद कुछ लोग सठिया जाते हैं और बिना सिर-पैर की बातें करते हैं, जिनकी बातों का कोई ठोस आधार नहीं होता, स्वयं को मशहूर करने का एक तरिका यह भी है कि मशहूर व्यक्ति की आलोचना करो ....यह सभी जानते हैं कि दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है , इसी बहाने कुछ दोस्त भी मिल जायेंगे , ऐसी घटिया सोच लेकर क्यों आये हैं ब्लॉग जगत में माशूम साहब ?मनोज पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/12404564140663845635noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-46694782989989023562011-06-04T06:22:37.471+05:302011-06-04T06:22:37.471+05:30ब्लॉग जगत की व्यापक जानकारियों और विश्लेषणयुक्...ब्लॉग जगत की व्यापक जानकारियों और विश्लेषणयुक्त परिणाम का इंतजार रहेगा.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-507131588328031600.post-40864405447508704642011-06-04T00:18:42.518+05:302011-06-04T00:18:42.518+05:30राजीव तनेजा@ यदि आप यह कहना चाहते हैं कि इस उत्सव ...राजीव तनेजा@ यदि आप यह कहना चाहते हैं कि इस उत्सव से पहले आप कि कोई पहचान नहीं थी तो ताज्जुब है और सही भी नहीं है. हाँ नए मित्र बने यह अवश्य ख़ुशी कि बात है और एक कामयाबी है. लेकिन मंहगी कामयाबी है यह.S.M.Masoomhttps://www.blogger.com/profile/00229817373609457341noreply@blogger.com