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परिकल्पना से भावनाओं के साथ जुड़े कुछ चिट्ठाकारों की जिज्ञासा थी कि क्या वर्ष के नवरत्न और नौ देवियों की तरह नौ नए, किन्तु यशश्वी चिट्ठाकार का उल्लेख इस विश्लेषण के अंतर्गत नहीं किया जा सकता है ? काफी सोच- विचार के बाद मैंने इस प्रारूप को लाने का फैसला किया है जो आज आप सभी के समक्ष प्रस्तुत है



इस प्रारूप के अंतर्गत हम उन नए चिट्ठाकारों को शामिल कर रहे हैं जो वर्ष-२००८ के उत्तरार्द्ध में अथवा वर्ष-२००९ के मध्य तक हिंदी ब्लॉग जगत का हिस्सा बने हैं और अपने कौशल व् प्रतिभा के बल पर वर्ष-२००९ के चर्चित चिट्ठाकारों में शुमार हो चुके हैंतो आईये शुरू करते हैं चर्चा वर्ष-२००९ : हिंदी ब्लॉग जगत के नौ उपरत्न यानि वर्ष के नौ नए यशश्वी चिट्ठाकार से



इस विश्लेषण के अंतर्गतडॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक का नाम पहले स्थान पर रहा था, किन्तु पिछले प्रारूप में इस सम्मानीय चिट्ठाकार की चर्चा हो चुकी है इस लिए अब यह क्रम इसप्रकार है -


ओम आर्य

सीतामढी बिहार के इस ब्लोगर के बारे में विस्तार से चर्चा वर्ष-२००९ : हिन्दी ब्लॉग विश्लेषण श्रृंखला (क्रम-१२) में के जा चुकी है

ब्लॉग लाने के सन्दर्भ में इनका कहना है कि कुछ शब्द जो मेरे मौन के खाली घर में आते हैं उन्हें मैं आवाज की पनाह में लाने की कोशिश करता हूँ ।इसी का प्रतिफल है-मौन के खाली घर में... ओम आर्य…..

कृष्ण कुमार यादव

ये डाक विभाग में अधिकारी है मगर इस ब्लॉग में ये डाकिया बाबू की भूमिका में हैं यानि डाकिया बाबू हैं , वही डाकिया जो पत्र के माध्यम से आपका सुख-दुःख बाँचता है।उनका कहना है कि " वक़्त के साथ व्यक्तिगत पत्रों की संख्या में भले ही कमी होती गयी पर कारपोरेट डाक में इजाफा होता गया। जब पत्रों की भाषा व्यक्तिगत थी तो सम्बन्ध भी व्यक्तिगत थे। अब पत्र व्यावसायिक होते गए तो संबंधों की उष्णता भी ख़त्म होती गयी और इसी के साथ डाकिया के प्रति समाज का नजरिया भी बदलता गया....? संचार के तीव्र साधनों ने गति भले ही दी हो पर उस गति ने हमें आस-पास ही नहीं अपने से भी काटकर रख दिया है। यह ब्लोगर न सिर्फ आपको उन भावनाओं से जोड़ने का प्रयास करता है बल्कि डाक सेवाओं में आई नई गति से भी परिचित कराता है ॥ बहुत कुछ जो कहीं वक़्त के साथ खो गया है उसे पकड़ने का भी प्रयास करता है यह डाकिया बाबू और वर्ष- २००९ में अपने दिलचस्प किस्सों से पाठकों का मन मोहने में सफल भी होता हैइनका ब्लॉग है --डाकिया डाक लाया


राज कुमार केसवानी
इनका ब्लॉग है--बाजे वाली गली

हर शहर की तरह भोपाल में भी बाजे वाली गली है और बाजे का महत्‍व तो सुनने वाले से है, लेकिन सुनने वाले मिलते हैं बाजे के सुरों से निकलने वाले रस से । अच्‍छा रस निकाला है इन्होने अपने ब्लॉग के माध्यम सेभोपाल निवासी श्री राज कुमार केशवानी के द्वारा यह चिटठा १९ अगस्त २००९ को इस आशय के साथ शुरू किया गया कि इस बाजे वाली सुरीली गली में संगीत प्रेमी आके सुकून पायेंगे , ब्लॉग की दुनिया को कुछ ऐसा ही सुरीलापन दरकार था जो राज जी ने पूरा क्या है इस ब्लॉग को लाकर

ललित शर्मा

अपने बारे में ललित शर्मा कहते हैं कि -"परिचय क्या दुं मैं तो अपना, नेह भरी जल की बदरी हुँ। किसी पथिक की प्यास बुझाने, कुँए पर बंधी हुई गगरी हुँ। मीत बनाने जग मे आया, मानवता का सजग प्रहरी हुँ। हर द्वार खुला जिसके घर का, सबका स्वागत करती नगरी हुँ।"

नुक्कड़…..एक लोहार की…..जबलपुर-ब्रिगेड….ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਖੁਸ਼ਬੂ….चर्चा पान की दुकान पर…..ललितडॉटकॉम….ठेनेत्प्रेस.कॉम…..अड़हा के गोठ…..उल्टा तीर……आदि सामुदायिक और सामूहिक चिट्ठों में योगदान देने वाले श्री ललित शर्मा का एक ब्लॉग शिल्पकार के मुख से….२ जून २००९ को आया और अपनी साफगोई से सबको मोह लियाअपने पहले पोस्ट शिल्पकार के मुख से में श्री ललित वर्मा ने इस ब्लॉग को लाने के उद्देश्य पर चर्चा करते हुए कहा है कि –“काफी दिनों से सफर में होने के कारण आपको पत्र नही लिख सका, लोकसभा के चुनाव थे, परिणाम कांग्रेस के पक्ष में आए। अब वर्तमान मनमोहन सरकार से हमे काफी उम्मीदें हैं हमारे शिल्पकार समाज को जो आजादी के ६० बरसों में नही मिल पाया उसे हमे इन पञ्च सालों में हासिल करना है। “
सम्भवत: ये पहले व्यक्ति हैं जिसने हिन्दी ब्लॉग पर अपने को शिल्पकार घोषित किया है।महर्षि चरक एंव प्राचीन चरक संहिता उपदेश पर आधारित इन्होने नया ब्लॉग ललित वाणी सितंबर में शुरू किया है

खुशदीप सहगल

नोएडा निवासी खुशदीप के द्वारा १७ अगस्त को एक चिटठा देशनामाशुरू किया गया इस आशय के साथ कि देश का कोई धर्म नहीं, कोई जात नहीं, कोई नस्ल नहीं तो फिर यहां रहने वाले किसी पहचान के दायरे में क्यों बांधे जाए ।

आजकल जब सारा मीडिया स्तरहीन सामग्री से भरा पड़ा है तो ऐसे में विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाना और तर्कपूर्ण वक्तव्यों के माध्यम से प्रस्तुत करना इस ब्लॉग के प्रति अनायास हीं सम्मान का भाव पनपता हैमहज चार - पांच महीनों के अल्प आयु वाला यह ब्लॉग चिट्ठाजगत की सक्रियता में ६६ वें स्थान पर है और इसमें अभीतक महत्वपूर्ण मुद्दों से परिपूर्ण ११५ पोस्ट लिखे जा चुके हैं जो इस चिट्ठे के समर्पण को परिलक्षित कर रहा हैखुशदीप के सहभागिता इसके अलावा सामूहिक ब्लॉग-नुक्कड़….में भे दिखाई देती है .

गिरिजेश राव और अभिषेक ओझा

श्री गिरिजेश राव के द्वारा विगत वर्ष २००८ के नवंबर माह में एक चिटठा लाया गया ,नाम था - एक आलसी का चिठ्ठा….जिसपर एक पोस्ट डालने के बाद राव साहिब पूरे पांच महीने सोये रहे अप्रैल में जब जगे तो फिर अब तक अलसाए नहीं हैं । बाद में इनके द्वारा इस ब्लॉग पर अतिथि लेखक के रूप में लिखने के लिए श्री अभिषेक ओझा को आमंत्रित किया गया । इस चिट्ठे पर अपने सारगर्भित लेखन के लिए ये दोनों चिट्ठाकार प्रशंसनीय और श्रद्धेय हैं इसलिए इस क्रम के अंतर्गत दोनों चिट्ठाकार को एक साथ शामिल किया जा रहा है ,आजकल इस ब्लॉग पर लंठ महाचर्चा चर्चा चल रही है ।

इस ब्लॉग के संचालक द्वयगिरिजेश राव और अभिषेक ओझा क्रमश: लखनऊ और बलिया के निवासी हैं । इस ब्लॉग के अतिरिक्त श्री राव कविताएँ और कवि भी.......और Science Bloggers' Association….से भे जुड़े हैं जबकि श्री ओझा का व्यक्तिगत ब्लॉग है ओझा-उवाच…तथा कुछ लोग... कुछ बातें... !......इसके अलावा इनकी सहभागिता Science Bloggers' Association…..वेबलाग पर...अत हिंदी वेबलॉग…..आदि सामूहिक ब्लॉग पर भी रहती है ।




इरफ़ान

एक संपादकीय कार्टूनिस्ट , प्रति दिन २-३ कार्टून का प्रकाशन । नव भारत टाईम्स , इकोनोमिक्स टाईम्स , दी फाईनेंसियल एक्सप्रेस आदि से सीधे तौर पर जुड़े हैं जबकि इनका योगदान टाईम्स मैगज़ीन में भी है । इसके अलावा देश -विदेश के कई महत्वपूर्ण पात्र-पत्रिकाओं में ये पूरे सम्मान के साथ छपते हैं । कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से ये सम्मानित हैं ।

हिंदी ब्लॉग जगत के लिए यह अत्यंत सौभाग्य की बात है कि इनका कार्टून पर आधारित एक ब्लॉग इतनी सी बात विगत वर्ष हिंदी ब्लॉग जगत का हिस्सा बना और देखते ही देखते इस ब्लॉग पर ४०० से ज्यादा कार्टून पोस्ट कर दिए गए । इस महान कार्टूनिस्ट के आगमन से यह हिंदी ब्लॉग जगत धन्य हुआ है । वर्ष – २००८ के उत्तरार्द्ध में यह ब्लॉग श्री इरफ़ान के द्वारा लाया गया और ७ पोस्ट डाले गए मगर वर्ष -२००९ में इस ब्लॉग पर कार्टून की फैक्ट्री लगा दी श्री इरफ़ान ने अर्थात वर्ष- २००९ में अब तक इसपर ४०५ पोस्ट डाले जा चुके हैं ।



सुरेश शर्मा (कार्टूनिस्ट)

रांची झारखंड निवासी श्री सुरेश शर्मा के कार्टून मुद्दों पर आधारित होते है और पाठकों के भरपूर मनोरंजन करते हुए उन्हें सोचने को विवश कर देते है जो एक कार्टूनिस्ट के सफलता का पहला मापदंड मना गया है . इनके द्वारा अपने ब्लॉग पर वर्ष-२००९ में लगभग कार्टून धमाका...! पर कार्टून से संबंधित ८४ पोस्ट डाले गए हैं ।
इसके अलावा इनका योगदान सुरेश शर्मा (कार्टूनिस्ट)…. सुरेश शर्मा(कार्तूनिस...... आटा० तो जाने…..लालू धमाका........... सुरेश शर्मा (कार्टूनिस्ट)…… न्यू ब्लॉग…..सुरेश शर्मा (कार्टूनिस्ट) आदि ब्लॉग पर भी है ।



प्रीति टेलर

शायरी ,कविता ,लघुकथाएं , कुछ जिन्दगी के स्पर्श करते लेख इनके सपनों को व्यक्त करने का माध्यम बनते है जिन्हें ये कलमबंद करके कागज़ पर बिखेर हैं उसमे अपने विचारों के रंग देती भर है ... वैसे इनकी मातृभाषा गुजराती है इनकी पढ़ाई भी गुजराती माध्यमसे ही हुई है पर इनका बचपन विभिन्न राज्योंके बाशिंदों के बीच रहकर गुजरा है इसी लिए हिन्दी भी इन्हें मातृभाषा की तरह ही लगी ।एक अहिन्दी भाषी के मन में हिन्दी के प्रति यह स्नेह प्रशंसनीय है । इनका हिंदी कविता पर केन्द्रित ब्लॉग जिंदगी : जियो हर पल वर्ष-२००८ में ही हिंदी ब्लॉग जगत का हिस्सा बना मगर यह ब्लॉग चर्चित हुआ वर्ष -२००९ में . इसी लिए इस ब्लॉग को इस प्रारूप में शामिल किया गया है ।

चर्चा अभी जारी है , मिलते हैं एक छोटे से विराम के बाद …

20 comments:

  1. सचमुच अब आपकी चर्चा संपूर्ण होती दिख रही है ...वर्ष के नौ उपरत्नों को मेरी शुभकामनाएं और बधाईयाँ आपको वर्ष-२००९ में विश्लेषण का एक सुन्दर और सार्थक दस्तावेज देने हेतु .../
    यदि संभव हो तो इस विश्लेषण में यह भी दर्शायें
    की कौन सा क्षेत्र, कौन सा शहर ज्यादा सक्रीय रहा ....किस चिट्ठाकार ने सर्वाधिक टिपण्णी दे और किसने सर्वाधिक पोस्ट लिखा ...किस ब्लॉग के ज्यादा समर्थक रहे और कौन चिट्ठाकार
    ज्यादा मुखर दिखा आदी .../

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  2. इन नौ उपरत्नों को ढेर सारी बधाईयाँ और शुभकामनाएं

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  3. यह प्रारूप भी आकर्षक प्रभात जी , आपको और वर्ष के यशश्वी रचनाकारों को बधाईयाँ !

    इश्वर करे नज़र न लगे इस विश्लेषण को ,क्योंकि इस चर्चा की हो रही है सर्वत्र चर्चा विस्तृत और व्यापक ...!

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  4. हिंदी ब्लॉग जगत के इन नौ उपरत्न यशश्वी चिट्ठाकार को हमारी हार्दिक शुभकामनांए. आशा है ये सभी चिट्ठाकार हिन्‍दी ब्‍लाग जगत को अपनी सार्थक लेखनी से निरंतर पुष्पित पल्‍लवित करते रहेंगें एवं हमें प्रेरणा देते रहेंगें.

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  5. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  6. शास्त्री जी सहित सभी ब्लोगर्स को बधाई. ॐ आर्य, इरफ़ान, गिरिजेश राव और अभिषेक ओझा को तो नियमित पढ़ते रहे हैं. हर अंक में कुछ नए चिट्ठों से परिचय हो रहा है, धन्यवाद.

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  7. सभी चिट्ठकार एक से बढ़कर एक हैं । इनके यहाँ उल्लेख के लिये बधाई ।
    विश्लेषण का आभार ।

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  8. रवीन्द्र जी कुछ स्पष्टीकरण :

    'एक आलसी का चिठ्ठा' और 'कविताएँ और कवि भी..' दोनों मेरे एकल ब्लॉग हैं। साझा नहीं। अभिषेक ओझा जी की पोस्ट मेरे किसी भी ब्लॉग पर पहली अतिथि पोस्ट है। उन्हों ने मेरे अनुरोध को मान दिया, इसके लिए उन्हें आभार कहना भी मुझे छोटी बात लगती है - मौन ही यथेष्ठ है। महाचर्चा का फॉर्मेट कुछ ऐसा है कि मुझे अभिषेक जी को पूर्ण स्वतंत्रता देनी ही थी इसलिए उनका नाम टीम सदस्य में दिख रहा है।


    मेरी पहली पोस्ट नवम्बर 2008 की और दूसरी अप्रैल 2009 की, 5 महीनों का गैप। एक दिन इंडीब्लॉगर पर बालसुब्रमण्यम जी (jaihindi.blogspot.com) द्वारा अपने ब्लॉग की समीक्षा देखा और ई मित्रता और ढंग से लिखाई शुरू हुई... हिन्दी ब्लॉगरी में मेरा होना उनके कारण है। हिन्दी को उनका योगदान और उनके ब्लॉग लेख देखेंगे तो आप उन्हें महारत्न कहेंगे। कुछ महीनों से वे शांत हैं। सिद्धार्थ ( satyarthmitra.blogspot.com) ने मेरा उत्साहवर्धन किया और 2-4 टिप्पणियों के जमाने में भी मुझे जमाए रखा। ये लोग मुझसे अधिक उपयुक्त हैं -रत्नालंकरण के लिए, कोरी विनम्रता नहीं तथ्य है। अभिषेक जी तो महारथी हैं , उनके साथ स्थान शेयर करने को क्या कहूँ!
    .. रुचियाँ, विधियाँ, विश्लेषण जुदा जुदा होती हैं, आप की इस श्रृंखला पर कुछ अधिक क्या कहूँ? आप एक महान कर्म कर रहे हैं - चुपचाप। इसके लिए हिन्दी ब्लॉग जगत को आप का आभारी होना ही चाहिए।

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  9. रवींद्र जी,

    मुझे फिल्मी गीतों के माध्यम से अपने भाव ज़ाहिर करने की बुरी आदत है...आपने मुझे जो इतना मान दिया, उसे देखकर मुझे फिल्म त्रिशूल के एक गाने की दो पंक्तियां याद आ रही हैं...

    मैं तो कुछ भी नहीं, तुमको हसीं लगती हूं
    इसको चाहत भरी नज़रो का अमल कहते हैं...

    जय हिंद...

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  10. गिरिजेश राव साहब ,
    आपकी टिपण्णी पढ़ी और आपके स्पष्टीकरण से अवगत हुआ . ख़ुशी हुयी यह जानकर की "आलसी का चिटठा" आपका एकल ब्लॉग है .
    चूँकि आप दोनों के प्रोफाईल में यह संयुक्त दिखाई दे रहा है इसीलिए मेरे द्वारा आप दोनों सम्मानित चिट्ठाकारों को संयुक्त रूप से उल्लेखित करना पड़ा ......खैर आप दोनों इस स्थान के हकदार हैं ...आपके टिपण्णी से आपके बारे में विस्तार से जानकर अच्छा लगा ...कभी सुयोग बना तो मुलाकात होगी ... .......आप दोनों को कोटिश: बधाईयाँ ../

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  11. बहुत अच्छा लग रहा है सभी के बारे मे जान कर ।इन नव उपरत्नों को बधाई आपका भी धन्यवाद्

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  12. नये चिट्ठाकारों को आपने परिकल्पना वर्ष 2009 मे आपने स्थान दिया तथा उत्साह वर्धन किया, आपको शुभकामनाएं, सभी चिट्ठाकार भाई बहनों का अभिनन्दन

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  13. कुछ को मैने पढ़ा है वाकई बेहतरीन लिखते है, आपके द्वारा दिये गये लिंक से अन्‍यो को भी पढ़ने का मौका मिलेगा।

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  14. हिंदी ब्लॉग जगत के 9 उपरत्नों में दूसरे स्थान पर शामिल करने के लिए आप सभी का आभार..अपना स्नेह बनाये रखें !!

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  15. कभी-कभी इस मौन के खली घर में बहुत ख़ुशी भर जाती है, उसे मैं आवाज नहीं दे पाता...

    धन्यवाद !!

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